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आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह की गिरफ्तारी के बाद पार्टी शुरु से नई रणनीति बनाएगी। यूपी में पार्टी का जिम्मा संजय सिंह के पास ही है, इनकी गिरफ्तारी से AAP की दूसरी पंक्ति के नेतृत्व पर बड़ा असर पड़ा है।

AAP ने गिरफ्तारी के विरोध में आज भाजपा मुख्यालय पर प्रदर्शन की घोषणा है। अन्ना आंदोलन के वक्त से ही आप संस्थापक केजरीवाल के करीबी रहे हैं। मनीष सिसोदिया और संजय सिंह उस आंदोलन के बाद आप को बनाने और उनके विस्तार में शामिल हुए हैं। प्रेस में जाने के बाद संजय सिंह निरंतर पार्टी के अहम मुद्दों को सदन में उठाते रहे। दूसरी पार्टियों के नेताओं के साथ करीबी संबंध है।

इस गठबंधन में भी आप की तरफ से बातचीत में अरविंद केजरीवाल के साथ संजय सिंह और राघव चड्ढा शामिल थे। आने वाले समय में सीटों के बंटवारे और अलग अलग राज्यों में चुनाव लड़ने को लेकर बातचीत हुई है। साथ ही काफी टाइम से उप्र के प्रभारी भी हैं। लोकसभा चुनाव में गठबंधन के साथ उत्तर प्रदेश की चुनावी रणनीति को तय करने का जिम्मा संजय सिंह के पास ही है। वो AAP की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी के सदस्य भी हैं।

सिसोदिया और संजय सिंह CM केजरीवाल के बाद सबसे ज्यादा चुनावी जनसभा करने वाले नेताओं में शामिल रहे हैं। उनकी गिरफ्तारी के बाद पार्टी को नए सिरे से रणनीति बनानी होगी। सदस्य की गिरफ्तारी के बाद सीएम ने ट्वीट कर और पार्टी के नेताओं ने प्रेस वार्ता कर इसका विरोध जताया है। 
 

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