लखनऊ। पीसीएस से आईएएस बने मणि प्रसाद मिश्रा दबंग नौकरशाहों में गिने जाते हैं। गृह महकमे के सचिव पद पर बने रहने के दौरान ही उन पर अपनी जन्मतिथि में हेराफेरी करने का मामला प्रकाश में आया था। पीसीएस के तौर पर उनकी नियुक्ति के समय और आईएएस संवर्ग में प्रमोशन के बाद दर्ज उनकी जन्मतिथि में कुल दस महीने का अंतर है। पर उनके रसूख के आगे यह मुददा भी बौना हो गया। upkiran.org ने उनकी सचिव गृह के पद पर तैनाती के बाद यह सवाल उठाए थे।
पिछली अखिलेश सरकार के खास अफसरों में शुमार मणि प्रसाद को जब आईएएस संवर्ग में प्रमोशन मिला तो उन्हें गृह महकमे में विशेष सचिव बनाया गया। इस पद पर तैनाती के एक माह बाद ही उन्हें सचिव पद पर प्रमोशन मिल गया। रिटायर होने के बाद भी उनका कार्यकाल लगाातर बढता रहा। पर योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद वह अपनी जगह पर बने रहें। हालाँकि भाजपा सरकार में उनका सिर्फ एक बार ही कार्यकाल बढ़ाया गया लेकिन इस अफसर ने हिम्मत नहीं हारी और नई गुणा-गणित में लगे रहे।
क्या है मामला?
मणि प्रसाद मिश्रा जब सेवा में आये तब से लगातार उनकी जन्मतिथि 1.02.1956 समय-समय पर ग्रेडेशन लिस्ट में छपती रही। यहाँ तक कि आईएएस में प्रमोट होने के बाद भी उनकी जन्मतिथि 1.02.1956 ही रही। लेकिन फिर अचानक 2016 की ग्रेडेशन लिस्ट में मणि प्रसाद मिश्रा की जन्मतिथि 1.12.1956 हो जाती है।
यानि मणि प्रसाद की नौकरी आश्चर्य तरीके से सीधे 10 महीने बढ़ जाती है। इस सम्बन्ध में जब नियक्ति विभाग के अधिकारियों से संपर्क कर जानकारी की गयी तो सभी लोगों ने स्पष्ट किया कि ग्रेडेशन लिस्ट को कोई त्रुटि संभव ही नहीं क्योंकि जारी करने से पहले टेंटेटिव जारी किया जाता है। पूरी छानबीन के बाद ही लिस्ट जारी की जाती है। छानबीन से ये तो स्पष्ट हो गया कि ग्रेडेशन लिस्ट में छपी वरिष्ठता सूची में इस तरह की त्रुटि संभव ही नहीं। ऐसे में ये सवाल उठता लाजिमी है कि क्या देश की सर्वोच्च सेवा में भी इस तरह की हेराफेरी संभव है?
जब धरी रह गई मणि प्रसाद मिश्रा की उम्मीदें…
सूत्रों की मानें तो उन्होंने अधीनस्थ चयन सेवा आयोग के अध्यक्ष बनने के लिए सारे घोड़े खोल दिए लेकिन आयोग में अध्यक्ष की घोषणा के बाद मणि प्रसाद की ये उम्मीद धरी रह गयी। उसके बाद उच्च शिक्षा चयन आयोग के नए चेयरमैन की घोषणा के बाद एक बार उन्हें तगड़ा झटका लगा।
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