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Up kiran,Digital Desk : पंजाब में जिला परिषद और ब्लॉक समिति के चुनावों का बिगुल बज चुका है और सियासी पारा चढ़ने लगा है। पर्चा भरने के लिए अब सिर्फ दो ही दिन बचे हैं, और ऐसे में सभी पार्टियां अपने-अपने घोड़े दौड़ाने में लग गई हैं। आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी बुधवार को अपने 72 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है और साफ कर दिया है कि वह यह चुनाव अपने पार्टी निशान 'झाड़ू' पर ही लड़ेगी।

लेकिन इस चुनावी गर्मी के बीच, खन्ना से एक ऐसी खबर आ रही है, जहाँ मामला सिर्फ टिकट बांटने तक नहीं, बल्कि सड़कों पर उतरने और दफ्तरों पर ताला जड़ने तक पहुँच गया है।

कागज़ के एक टुकड़े पर क्यों मचा है इतना हंगामा?

कहानी खन्ना की है। मंगलवार की सुबह जब कांग्रेस के उम्मीदवार अपना नॉमिनेशन फाइल करने के लिए ज़रूरी 'नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट' (NOC) लेने सरकारी दफ्तर (BDPO ऑफिस) पहुँचे, तो उनका पारा चढ़ गया।

नेताओं का सीधा-सीधा आरोप है कि जब वे दफ्तर पहुँचे, तो वहाँ कोई भी बड़ा अधिकारी मौजूद नहीं था। न तो उनके कागज चेक किए गए, और न ही उन्हें NOC जारी की गई। बस फिर क्या था! कांग्रेस के कार्यकर्ता वहीं दफ्तर के बाहर ही धरने पर बैठ गए और हंगामा शुरू कर दिया।

"सड़कें जाम करेंगे, दफ्तर पर ताला लगाएंगे, आत्मदाह कर लेंगे!"

गुस्साए कांग्रेस नेताओं ने अधिकारियों पर सीधा इल्जाम लगाया कि वे जानबूझकर उन्हें परेशान कर रहे हैं ताकि वे पर्चा न भर सकें। कांग्रेस नेता सतनाम सिंह सोनी ने तो खुली चेतावनी दे डाली- “अगर हमें समय पर NOC नहीं मिली, तो हम चुप नहीं बैठेंगे। सड़कें भी जाम करेंगे, इस दफ्तर पर ताला भी लगाएंगे और ज़रूरत पड़ी तो आत्मदाह जैसा बड़ा कदम उठाने से भी पीछे नहीं हटेंगे!” कांग्रेस का कहना है कि वे इस पूरे मामले की शिकायत चुनाव आयोग से भी करेंगे ताकि अधिकारियों पर कार्रवाई हो सके।

अफसर बोले- "ये सब नाटक है!"

इस पूरे बवाल पर जब BDPO सरबजीत सिंह कंग से बात की गई, तो उन्होंने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, "ये सब बेवजह का राजनीतिक ड्रामा है। दफ्तर में सारे अधिकारी अपनी ड्यूटी पर मौजूद हैं। हमने तो ऑफिस के बाहर सबके फोन नंबर भी लिख रखे हैं ताकि किसी को कोई दिक्कत न हो।"

एक तरफ 'आप' और बीजेपी जैसी पार्टियां अपनी चुनावी लिस्टें जारी कर रही हैं, तो दूसरी तरफ कांग्रेस कागजी कार्यवाही में ही उलझी हुई नज़र आ रही है। अब देखना यह है कि क्या यह मामला सुलझता है, या फिर नामांकन के आखिरी दिन तक यह सियासी दंगल और भी बड़ा रूप लेता है।