(कल से नई शुरुआत)
आज राजनीति पार्टियों के सांसदों के अलावा देशवासियों के लिए भी बहुत ही खास दिन है। देश की राजधानी दिल्ली में स्थित संसद भवन आज के बाद हमेशा के लिए यादों में रहेगा। इस संसद भवन ने आजादी के बाद देश में कई इबारत लिखी । 75 साल के यादगार सफर में संसद के सत्र और विशेष सत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जोरदार बहस भी देशभर में सुर्खियों में रही। इसके साथ साल 2001 में आतंकवादियों ने इसी संसद भवन को अपनी गोलियों से लहू लोहान भी किया।
वहीं देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह, राजीव गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, पीवी नरसिम्हा राव, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के रूप में इसी सदन में विराजमान हुए। इसके साथ स्कूलों और कॉलेज में भी विद्यार्थियों ने देश के संसद भवन को जाना और पढ़ा। 75 साल की यात्रा के बाद आज यह संसद भवन अतीत का हिस्सा बन जाएगा। आज से केंद्र सरकार द्वारा बुलाए गए संसद के विशेष सत्र की कार्यवाही की शुरुआत इसी संसद भवन में हुई। इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के सभी सांसद भावुक दिखाई दिए। पुराने संसद भवन में आज ये आखिरी सत्र है। 19 सितंबर, गणेश चतुर्थी के दिन से नए संसद भवन में कार्यवाही होगी। मंगलवार को पहली बार सदन की कार्यवाही नए संसद भवन में चलेगी।
लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्य मंगलवार सुबह ग्रुप फोटो के लिए इकट्ठा होंगे और फिर नए भवन में जाने से पहले, भारतीय संसद की समृद्ध विरासत का जश्न मनाने और 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लेने के लिए एक समारोह में भाग लेंगे।अब आइए जान लेते हैं इस संसद के बारे में। साल 1921 में पुरानी संसद को बनाने का काम शुरू हुआ था। हालांकि, 1911 में भारत के दौरे पर आए ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम की ओर से दिल्ली को देश की राजधानी बनाने के साथ ही संसद, इंडिया गेट, नॉर्थ और साउथ ब्लॉक समेत हेरिजेट बिल्डिंग बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। दिल्ली का सेंट्रल हिस्सा लुटियंस दिल्ली कहलाता है, जहां पर संसद, इंडिया गेट और राष्ट्रपति भवन समेत देश की कई प्रमुख इमारतें मौजूद हैं।
लुटियंस दिल्ली का नाम आर्किटेक्ट सर एडविन लुटियंस के नाम रखा गया, जिन्होंने इन इमारतों को डिजाइन किया था। एडविन लुटियंस के साथ हरबर्ट बेकर ने भी इन बिल्डिंगों के डिजाइन तैयार किए थे। 1927 में संसद भवन बनकर तैयार हुआ। 6 एकड़ (24, 281 वर्ग मीटर) में बनी इस इमारत को तैयार करने में 6 साल का समय लगा था।
इस बीच सरकार ने बताया कि विशेष सत्र के दौरान 8 विधेयकों को विचार और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है। इसमें मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति संबंधित विधेयक भी शामिल है। इस दौरान दोनों सदन में संसद की 75 सालों की यात्रा के दौरान उसकी उपलब्धियां, अनुभव, यादें और सीख पर चर्चा होगी। केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। स्पेशल सत्र में पांच बैठकें होंगी। इस दौरान चार बिल पेश किए जाएंगे। उधर विपक्षी पार्टियों ने सरकार से सवाल-जवाब करने के लिए 9 मुद्दों की लिस्ट तैयार की है। विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A से 24 पार्टियां इस सेशन में हिस्सा लेंगी। बता दें कि अटकलें लगाई जा रही है कि इस संसद के विशेष सत्र में मोदी सरकार कोई बड़ा एलान कर सकती है। सियासी गलियारों में अटकलें का बाजार गर्म है।
पीएम मोदी ने लोकसभा में पूर्व प्रधानमंत्री को याद करते हुए पुरानी यादें साझा की---
संसद के 75 साल पूरे होने पर चर्चा की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में पुरानी यादें ताजा कीं। पीएम ने इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्रियों को याद करते हुए कहा- ये वो सदन है जहां पंडित नेहरू का स्ट्रोक ऑफ मिडनाइट की गूंज हम सबको प्रेरित करती है। इंदिरा गांधी के नेतृत्व में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम का आंदोलन भी इसी सदन ने देखा था। उन्होंने उस पल को याद किया, जब उन्होंने पहली बार संसद भवन में प्रवेश किया था। उन्होंने कहा, ‘जब मैंने पहली बार एक सांसद के रूप में इस भवन में प्रवेश किया, तो सहज रूप से मैंने इस सदन के द्वार पर अपना शीश झुकाकर, इस लोकतंत्र के मंदिर को श्रद्धाभाव से नमन करते हुए यहां कदम रखा था। वो पल मेरे लिए भावनाओं से भरा हुआ था। मैं कभी कल्पना भी नहीं कर सकता था, लेकिन ये भारत के लोकतंत्र की ताकत है और भारत के सामान्य मानवी की लोकतंत्र के प्रति श्रद्धा का प्रतिबिंब है कि रेलवे प्लेटफॉर्म पर गुजारा करने वाला एक गरीब परिवार का बच्चा पार्लियामेंट में पहुंच गया। पीएम मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा, यह पुराना संसद भवन हमारे देशवासियों के पसीने, कड़ी मेहनत और पैसे से बनाया गया है। पीएम ने चंद्रयान-2 मिशन और जी20 शिखर सम्मेलन की सफलता के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा, ”नए परिसर में जाने से पहले इस संसद भवन से जुड़े प्रेरणादायक क्षणों को याद करने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि हम भले ही नई इमारत में जा रहे हैं, लेकिन यह इमारत आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरित करती रहेगी।
पीएम ने कहा, यह वह संसद है जहां पंडित नेहरू ने ‘आधी रात को’ भाषण दिया था जो हर किसी को प्रेरित करता है। लेकिन उन्होंने यह भी बताया कि सदन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान cash for votes स्कैम भी देखा गया। पीएम ने कहा- इस सदन से विदाई लेना एक बेहद भावुक पल है, परिवार भी अगर पुराना घर छोड़कर नए घर जाता है तो बहुत सारी यादें उसे कुछ पल के लिए झकझोर देती हैं। हम इस सदन को छोड़कर जा रहे हैं, तो हमारा मन मस्तिष्क भी उन भावनाओं से भरा हुआ है और अनेक यादों से भरा हुआ है। उत्सव-उमंग, खट्टे-मीठे पल, नोक-झोंक इन यादों के साथ जुड़ा है। संसद कवर करने वाले पत्रकारों का भी पीएम मोदी ने जिक्र किया।
उन्होंने कहा कि आज जब हम इस सदन को छोड़ रहे हैं, तब मैं उन पत्रकार मित्रों को भी याद करना चाहता हूं, जिन्होंने पूरा जीवन संसद के काम को रिपोर्ट करने में लगा दिया। एक प्रकार से वे जीवंत साक्षी रहे हैं। उन्होंने पल-पल की जानकारी देश तक पहुंचाईं। ऐसे पत्रकार जिन्होंने संसद को कवर किया, शायद उनके नाम जाने नहीं जाते होंगे लेकिन उनको कोई भूल नहीं सकता है। सिर्फ खबरों के लिए ही नहीं, भारत की इस विकास यात्रा को संसद भवन से समझने के लिए उन्होंने अपनी शक्ति खपा दी। मोदी ने कहा कि एक प्रकार से जैसी ताकत यहां की दीवारों की रही है, वैसा ही दर्पण उनकी कलम में रहा है और उस कलम ने देश के अंदर संसद के प्रति, संसद के सदस्यों के प्रति एक अहोभाव जगाया है। इस सदन से विदाई लेना बहुत ही भावुक पल है। हम जब इस सदन को छोड़कर जा रहे हैं, तो हमारा मन बहुत सारी भावनाओं और अनेक यादों से भरा हुआ है।
75 वर्ष की हमारी यात्रा ने अनेक लोकतांत्रिक परंपराओं और प्रक्रियाओं का उत्तम से उत्तम सृजन किया है और इस सदन के सभी सदस्यों ने उसमें सक्रियता से योगदान दिया है। पीएम मोदी ने 2001 में संसद में हुए हमले को भी याद किया। पीएम ने कहा- यह हमला इमारत पर नहीं बल्कि हमारी जीवात्मा पर हमला हुआ था। ये देश उस घटना को कभी नहीं भूल सकता। आतंकियों से लड़ते हुए जिन सुरक्षाकर्मियों ने हमारी रक्षा की, उन्हें कभी नहीं भूला जा सकता। आतंकियों से लड़ते- लड़ते, सदस्यों को बचाने के लिए जिन्होंने अपने सीने पर गोलियां झेलीं आज मैं उनको भी नमन करता हूं।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और अधीर रंजन चौधरी ने भी संबोधित किया-
इस दौरान लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने संसद भवन की पुरानी यादों का ताजा किया। उन्होंने इस दौरान पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह तक कई प्रधानमंत्रियों को याद किया।
मनमोहन सिंह पर बात करते हुए अधीर रंजन चौधरी ने कहा,'हमारे मनमोहन सिंहजी को कहा जाता था कि वह मौन रहते हैं, वह मौन नहीं रहते थे। बल्कि काम ज्यादा और बात कम करते थे। जब जी-20 का सम्मेलन हुआ करता था, उस समय भी उन्होंने कहा था कि यह हमारे देश के लिए अच्छा है। उन्होंने आगे कहा,'जब यह खबर मिल रही है कि आज इस सदन का अंतिम दिवस है तो सही मायनों में भावुक होना तो स्वाभाविक है। ना जाने कितने दिग्गजों और देशप्रेमियों ने देश के लोकतंत्र की रक्षा करने के लिए यहां योगदान दिया है। बहुत सारे हमारे पूर्वज इस दुनिया को छोड़कर चले गए। उनकी याद हम करते रहेंगे। यह सदन जरूर कहेगा। जिंदगी में कितने दोस्त आए और कितने बिखर गए। कोई दो रोज के लिए आया तो किसी ने चलते ही सांस भर ली। लेकिन जिंदगी का नाम ही है दरिया, वो तो बस बहता रहेगा, चाहे रास्ते में फूल गिरें या पत्थर।
अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि जब संसद में संविधान की चर्चा हो, लोकतंत्र की चर्चा हो तो पंडित नेहरू और बाबा साहेब आंबेडकर की बात जरूर होगी। उन्होंने आगे कहा,' नेहरूजी को तो आर्किटेक्ट ऑफ मॉर्डन इंडिया कहा जाता था। वहीं, बाबा साहेब आंबेडकर को हम संविधान के जनक की मान्यता देते हैं। अच्छा लगा कि आज नेहरूजी के बारे में बात करने का मौका मिला। इसके बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने सदन को संबोधित किया। इस दौरान दोनों ही नेताओं ने कई मुद्दों को सदन के सामने उठाया। इसके साथ ही दोनों नेताओं ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा और कई सवाल भी पूछे। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हमसे बार-बार पूछा जाता है कि 70 साल में आपने क्या किया।
उन्होंने कहा कि हमने 70 साल में इस देश के लोकतंत्र को मजबूत किया। नेहरू काल में देश की नींव पड़ी। नींव के पत्थर दिखते नहीं है। विपक्षी गठबंधन INDIA के नाम को लेकर बीजेपी पर हमलावर मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि नड्डा साहब हमें छोटा करने के लिए गठबंधन का नाम INDI बोलते है। उन्होंने कहा कि नाम बदलने से कुछ नहीं होता है, हम INDIA हैं।अपने भाषण में मणिपुर का मुद्दा उठाते हुए खरगे ने कहा कि पीएम यहां-वहां जाते हैं लेकिन मणिपुर नहीं गए।
वहीं हर मुद्दे पर बाहर भाषण देने को लेकर भी खरगे ने पीएम मोदी से सवाल किया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने अपने 9 साल के कार्यकाल में परंपरागत बयानों को छोड़कर सिर्फ दो बार ही बयान दिया है। उन्होंने पूछा कि क्या यही लोकतंत्र है। जब कि अटलजी ने अपने कार्यकाल में 21 बार और मनमोहन सिंह ने 30 बार बयान दिया था। इस दौरान सदन में सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी मौजूद थे।
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