आचार्य चाणक्य ने पूरे विश्व को अपने ज्ञान से लाभ पहुंचाने की कोशिश की है उन्हेंने ढेर सारी ऐसी बाते बताई हैं जिसके अनुसरण मात्र ले इंसान अपने जीवन को बेहतर बना सकता है धर्मनीति, कूटनीति तथा सियासत में पारंगत कौटिल्य ने अपने ज्ञान के दम पर चंद्रगुप्त मौर्य को राजा तक बना दिया। आज का ये विचार अपमानित होकर जीने से अच्छा मरना है इस पर आधारित है।
आचार्य चाणक्य के कहने का तात्पर्य है कि हर इंसान के लिए उसका मान सम्मान बहुत अधिक अहमियत रखता है। सभी को ऐसा लगता है कि भले ही उस एक समय का खाना खाने को ना मिले किंतु उसके मान सम्मान में जरा सी भी कमी नहीं होनी चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि कोई भी इंसान अपने से अधिक अपने स्वाभिमान को लेकर बहुत अधिक गंभीर होता है। वो उसे बचाए रखने के लिए ना जाने क्या क्या नहीं करता। वो हर वो काम करने से बचता है जिससे उसके मान सम्मान में जरा सी भी कमी हो।
बता दें कि यदि उसे सबके सामने अपमानित होना पड़ा तो उसका जीना कठिन हो जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अपमान एक ऐसी चीज है जो रह रहकर इंसान को याद आती रहती है। भले ही वो उससे पीछे छुड़ाने की कितनी भी कोशिश क्यों ना कर ले किंतु उससे पीछा छुड़ाना उसका मुश्किल हो जाता है।