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नई दिल्ली।। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को उम्मीद है कि 31 मार्च तक किए गए लॉकडाउन से अप्रैल से संक्रमण के नए मामलों में कमी आएगी। यदि नहीं हुआ तो फिर सरकार खांसी, जुकाम के मरीजों की CORONA जांच प्रारंभ करवाएगी।

इस बीच भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के विशेषज्ञ इसके कम्युनिटी संक्रमण पर नजर रखे हुए हैं तथा कंप्यूटर मॉडलिंग के जरिए यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि कम्युनिटी संक्रमण होने के आसार किस कदर हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि सरकारी प्रयोगशालाओं की संख्या बढ़ाई गई है।

डीआरडीओ एवं अन्य महकमों की प्रयोगशालाओं को भी अलर्ट पर रखा गया है। निजी प्रयोगशालाओं को मंजूरी देने की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है। देश में अभी सरकारी प्रयोगशालाओं में रोजाना दस हजार नमूनों की जांच की व्यवस्था है, लेकिन वास्तविक टेस्ट इसके दस फीसदी भी नहीं हो रहे हैं।

पिछले दो महीनों में करीब 17 हजार टेस्ट हुए हैं। इस बीच केंद्र सरकार ने टेस्ट की क्षमता बढ़ाने के लिए 10 लाख अतिरिक्त किट आदि के लिए आर्डर जारी किए हैं। दो लाख किट सरकार के पास पहले से हैं। पिछले कुछ दिनों के दौरान कुछ मामले स्थानीय संक्रमण के भी आए हैं।

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इसलिए सरकार की योजना यह है कि अस्पताल में खांसी, जुकाम के जो भी मरीज आएं, उनकी जांच शुरू की जाए ताकि कोई भी संक्रमित उपचार से छूटने नहीं पाए। यूरोप के देशों में प्रति सप्ताह एक से डेढ़ लाख टेस्ट किए जा रहे हैं। राज्य सरकारों को भी जांच किट की पर्याप्त व्यवस्था करने के लिए कहा गया है।

इस वायरस की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि काफी रोगियों में संक्रमण ही नजर नहीं आते हैं जबकि वे भी रोगों को फैला सकते हैं। ऐसे मामलों की जांच के लिए सरकार रैंडम सैंपलिंग का तरीका भी आजमा सकती है ताकि इस प्रकार के मामलों का आकलन किया जा सके। मौजूदा समय में विदेश से आने वालों एवं किसी संक्रमण के संपर्क में आए लोगों की ही जांच हो रही है, क्योंकि ज्यादातर मामले इन्हीं से जुड़े हैं। इसलिए इस दायरे में आने वाले लोगों की जांच होती है।

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