लखनऊ। बीते दिनों यूपी वन निगम में बेशकीमती लकड़ियों की नीलामी के खेल का मामला यूपी किरण ने उजागर किया था। वन मंत्री अरूण कुमार सक्सेना ने उसका संज्ञान लिया है और प्रारम्भिक जांच में दोषी पाए जाने पर DSM बहराइच हरिकेश गौतम व डिपो इंचार्ज समेत 7 कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया है। वन मंत्री श्री सक्सेना का कहना है कि उन्हें प्रकरण की जानकारी है। भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाने वाले सभी अधिकारियों व कर्मचारियों के विरुद्ध ठोस कार्रवाई की जाएगी। उन्हें जाँच रिपोर्ट का इंतजार है। जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई होगी।
तीन सदस्यीय कमेटी करेगी जांच
सूत्रों के मुताबिक, पूरे प्रकरण की जांच के लिए निगम के अफसरों की तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। प्रकरण में वन निगम मुख्यालय के महाप्रबंधक राम कुमार भी शक के दायरे मे हैं। आपको बता दें कि बीते दिनों बहराइच में नीलामी के लिए जारी गई ऑनलाइन और ऑफलाइन विक्रय सूची में बड़ा अंतर सामने आया था। जिसको लेकर शिकायत की गई थी। यूपी किरण ने उस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। खबर का मंत्री ने संज्ञान लिया है और जांच में दोषी पाए गए कर्मचारियों पर गाज गिरी है।
निलंबित डीएसएम हरिकेश गौतम के खिलाफ कई जांचें
निलंबित डीएसएम हरिकेश गौतम का भ्रष्टाचार का पुराना इतिहास रहा है। बहराइच से पहले डीएलएम सहारनपुर के पद पर रहते हुए हरे पेड़ों के बेचने का मामला सामने आया था। जिसकी जाँच हुई और दोषी पाए जाने के बाद हरिकेश गौतम द्वारा विभाग में हर्जाना जमा करते हुए माफ़ी मांगी गयी थी। बावजूद इसके हरिकेश गौतम को डीएसएम बहराइच बनाया गया। डीएसएम बहराइच के पद पर रहते हुए कुछ माह पहले भ्रष्टाचार का एक और मामला सामने आया था। जिसकी जाँच वर्तमान में प्रचलित है। बहराइच में बीते 12 अगस्त को भी एक बड़ा खेल होना था, लेकिन मामला खुल जाने के बाद भ्रष्ट अधिकारियों की मंशा पर पानी फिर गया।
आपको बता दें कि जीएम राम कुमार के पास कई महत्वपूर्ण कार्य आवंटित हैं। जीएम हेड क्वार्टर, जीएम सेल्स और जीएम तेंदूपत्ता के साथ-साथ सॉफ्टवेयर के भी प्रभारी हैं। आपको बता दें कि जीएम राम कुमार कि कार्यप्रणाली पर काफी समय से सवाल उठते रहे हैं लेकिन जैसे-तैसे रामकुमार कई वर्षों से वन निगम में महतवपूर्ण पदों पर कब्ज़ा जमाये हुए हैं। विभागीय जानकारों का कहना है कि पूरे मामले की जांच बड़े अधिकारी से कराए जाने पर ही दूध का दूध और पानी का पानी हो पाएगा। विभागीय सूत्रों कि मानें तो निगम में भ्रष्टाचार के पीछे जीएम राम कुमार का बड़ा हाथ है।
बड़े अफसरों के खेल में फंसे डेली वेजेज कर्मचारी
निलंबित किये गए कर्मचारियों में चार दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी शामिल है। विभाग में चर्चा है कि पूरे मामले में सीधे तौर पर बड़े अफसरों का रोल है। डेली वेजेज कर्मचारी को बुलाकर उच्च अधिकारी जो निर्देश देते हैं। उनका पालन करना डेली वेजेज कर्मचारियों कि मज़बूरी हो जाती है। दबे जुबान से नाम न बताने कि शर्त पर निगम के ही कुछ कर्मचारियों का कहना है कि इस मामले का मास्टरमाइंड तो बचा हुआ है। अगर निष्पक्ष जाँच होगी तो वन निगम का एक बड़ा स्कैम सामने आएगा। बहरहाल, नीलामी में खेल के इस मामले में कम्प्यूटर सेक्शन, साफ्टवेयर फर्म, विपणन और मार्केटिंग के अधिकारी और कर्मचारी भी संदेह के दायरे मे हैं। अब जांच कितनी निष्पक्ष तरीके से हो पाती है। यह आने वाला समय ही बताएगा।
क्या है मामला?
यूपी वन निगम में अपनों को रेवड़ी बांटने के लिए वर्षों से साफ्टवेयर के जरिए गड़बड़ी किया जा रहा है। ताजा मामले में लकड़ियों की नीलामी के लिए जारी ऑनलाइन और ऑफलाइन जारी की गई विक्रय सूची में बड़ा अंतर सामने आया है। शिकायत के बाद अफसर मामले को मैनेज करने में जुटे हैं। शिकायती पत्र के अनुसार, 12 अगस्त को भिनगा ए डिपो के सार्वजनिक नीलामी की 36 पेज की सूची वन निगम की वेबसाइट पर उपलब्ध है। उसमें खैर लकड़ी शामिल नहीं थी। सूची पर तिथि 8 अगस्त 2023 अंकित थी। इसके उलट डिपो पर नीलामी के लिए उपलब्ध ऑफलाइन विक्रय सूची 67 पेज की थी। उसमें खैर लकड़ी की 101 लाट शामिल थी। विभागीय जानकारों के मुताबिक खैर कि लकड़ी की कीमत करोड़ों में है।
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