राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने 29 सदस्यीय प्रदेश चुनाव समिति का गठन किया, जिसका नेतृत्व गोविंद सिंह डोटासरा करेंगे। साथ ही इसमें राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों शामिल हैं। मगर इस समिति के 29 सदस्यों में से 90 फीसदी सदस्य गहलोत गुट के हैं। जिसको लेकर फिर से राजनीति के गलियारों में चर्चा होने लगी है।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो कांग्रेस हाई कमान ने एक बार फिर सचिन पायलट के बजाय अशोक गहलोत गुट को तवज्जो दी है। आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बनाई गई प्रदेश चुनाव समिति में गहलोत के सबसे नजदीकी नेता गोविंद सिंह डोटासरा को चेयरमैन बनाया गया है। साथ ही पायलट गुट के सिर्फ तीन सदस्यों को इस समिति में शामिल किया गया है। जिसके बाद यह कहा जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान ने एक बार फिर गहलोत को तवज्जो देकर पायलट को हाशिए पर धकेल दिया है।
बता दें कि सचिन पायलट और अशोक गहलोत गुट के बीच बीते तीन साल से तलवारें खिंची हुई थी। पायलट ने तीन चार बार गहलोत को चुनौती देते हुए तल्ख तेवर दिखाए थे। गहलोत को खुली चुनौती देते हुए पायलट ने तीन बार बगावती तेवर दिखाए, जबकि कांग्रेस आलाकमान ने हर बार अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सुलह कराई। पायलट को बार बार आश्वासन देकर राजी किया। जब जब सचिन पायलट ने तल्ख तेवर दिखाए, तब तब कांग्रेस आलाकमान ने पायलट को जैसे तैसे मना लिया।
बताया जा रहा है कि पायलट को विधानसभा चुनाव में बड़ी जिम्मेदारी देने का भरोसा दिया गया था। उन्हें चुनाव समिति का चेयरमैन बनाए जाने की चर्चाएं थी, मगर ऐसा नहीं हो सका। चुनाव समिति की कमान गहलोत के खासमखास नेता डोटासरा को दे दी गई। कांग्रेस हाईकमान की ओर से बनाई गई प्रदेश चुनाव समिति में सचिन पायलट गुट के सिर्फ चार सदस्यों को शामिल किया गया है, जिनमें एक स्वयं सचिन पायलट हैं।
आपको बता दें कि कुछ दिनों पहले ऐसी भी खबरें आई थी कि पायलट को फिर से प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जा सकता है, मगर ऐसी खबरों पर भी अब पानी फिर गया है। जब उन्हें चुनाव समिति की जिम्मेदारी भी नहीं दी तो प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाए जाने की उम्मीद करना बेकार है। ऐसे में ये सवाल उठना लाजमी है कि क्या सचिन पायलट को कांग्रेस की तरफ से फिर से निराशा हाथ लगेगी?
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