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न्यूयॉर्क ।। चीन के वूहान शहर से उत्पन्न होने वाला 2019 नोवेल CORONA__VIRUS इसी समूह के वायरसों का एक उदहारण है, जिसका संक्रमण सन् 2019-20 काल में तेज़ी से उभरकर 2019-20 वुहान CORONA__VIRUS प्रकोप के रूप में फैलता जा रहा है। हाल ही में WHO ने इसका नाम COVID-19 रखा।

3 अप्रैल को जब PM मोदी ने अपने रिकॉर्डेड संदेश में देश की जनता से ‘अंधकार से प्रकाश की ओर चलने’ का आह्वान किया। 5 अप्रैल को रात 9 बजे 9 दीये जलाने की अपील की तो एक महीने पहले की तारीख 3 मार्च की याद आ गयी। उस दिन पीएम ने एक ट्वीट किया था।

बताया था कि विश्व के डॉक्टर इकट्ठा नहीं होने की सलाह दे रहे हैं, इसलिए वे होली समारोह से दूर रहेंगे। 3 मार्च और 3 अप्रैल की तुलना करें, तो तब हिंदुस्तान में CORONA__VIRUS के लोगों की संख्या 7 थी, अब ये ढाई हजार हो चुकी है। बीते एक महीने में जनता कर्फ्यू से लेकर कुल 3 बार देश की जनता को प्रधानमंत्री संबोधित कर चुके हैं।

होली 10 मार्च को थी। इसी दिन हिंदुस्तान में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या 50 पार हुई थी। 10 मार्च को यह संख्या 62 पहुंच गयी। ठीक 21 दिन बाद 2 अप्रैल को हिंदुस्तान में CORONA__VIRUS के मरीजों की तादाद ढाई हजार पार कर गयी। इसकी वास्तविक संख्या 2543 हो गयी। गौर करने वाली बात यह है कि हिंदुस्तान के मुकाबले अमेरिका ने दो दिन पहले यह नकारात्मक उपलब्धि हासिल की।

अमेरिका में कोरोना मरीजों की संख्या 26 फरवरी को 50 पार हुई थी। यह वह दिन था जब ट्रम्प हिंदुस्तान की यात्रा से स्वदेश लौटे थे। खास बात यह है कि इसी दिन अमेरिका में ऐसा केस मिला था जिसे सामुदायिक संक्रमण कहा गया। ठीक 19 दिन बाद 14 मार्च को कोरोनो मरीजों की संख्या ढाई हजार पार कर गयी। 14 मार्च तक अमेरिका में CORONA__VIRUS से संक्रमित लोगों की संख्या 2770 हो चुकी थी।

यूएस से हिंदुस्तान की तुलना की खास वजह है कि फरवरी महीने में जब हिंदुस्तान ने ‘नमस्ते ट्रंप’ का आयोजन किया था तब दोनों ही देशों ने सोशल डिस्टेंसिंग की ऐसी-तैसी कर दी थी। यही वो वक्त था जब दिल्ली में दंगे हो रहे थे। यह तुलना यह बताने के लिए भी जरूरी है कि CORONA__VIRUS में हिंदुस्तान की रफ्तार कम नहीं है। यह अमेरिका के मुकाबले महज दो दिन पीछे है। इसे इस रूप में भी कह सकते हैं कि हिंदुस्तान को बीमारी के संक्रमण में दो दिन की राहत है।

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अमेरिका पर हिंदुस्तान की इस दो दिन की ‘बढ़त’ को हम लॉकडाउन से भी जोड़ सकते हैं। वहीं हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि टेस्टिंग के मामले में हिन्दुस्तान अमेरिका के मुकाबले बहुत पीछे है। हालांकि कहने वाले ये भी कहेंगे कि मरकज जमात जैसी घटना अमेरिका में नहीं हुई अन्यथा आंकड़े और अनुकूल हो सकते थे। मूल चिंता यह है कि क्या आगे भी कोरोना संक्रमण के मामले में हिंदुस्तान की ‘बढ़त’ मजबूत रह सकेगी? यह इस बात पर निर्भर करता है कि CORONA__VIRUS से लड़ाई हम कैसे लड़ रहे हैं।

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