नई दिल्ली॥ NDA के अस्तित्व पर भी उठाए सवाल JDU ने झारखण्ड में भाजपा की हार के लिए सीधे सीधे उसे ही जिम्मेदार बताया है। JDU ने साफ कहा है कि रघुवर सरकार की आदिवासियों के विरूद्ध नीति और राज्य में गठबंधन न करना हार की मुख्य वजह हैं। JDU के प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि इस हार से भाजपा को सबक लेना चाहिए। ये भाजपा की निरंतर 5वी हार है।
त्यागी ने कहा कि एक आदिवासी राज्य में जिसका जन्म आदिवासियों की पहचान और उनकी उत्थान के लिए हुआ था, वहां भाजपा ने एक गैर आदिवासी को सीएम बनाकर बड़ी भूल की। उससे ज्यादा छोटा नागपुर टेनेसी एक्ट में बदलाव कर भाजपा ने भारी भूल की। रघुवर दास लगतार सुपर सीएम की तरह व्यवहार करने लगे थे, अपनी राजनीति विरोधियों को वे दुशमन समझने लगे थे। सरयू राय जैसे नेताओं को अपना पसर्नल दुश्मन मान बैठे।
ये पूछे जाने पर कि क्या झारखंड चुनाव परिणाम का प्रभाव आगे आने वाले बिहार चुनाव पर पड़ेगा। त्यागी ने स्पष्ट किया कि बिहार में नीतीश की सरकार है और अच्छा काम कर रही है। यहां भाजपा और JDU के नेताओं के सबन्ध मधुर हैं। नीतीश कुमार एक मजबूत नेता हैं। उनका भाजपा नेताओं के साथ व्यक्तिगत सबन्ध है। झारखंड में हार से ये सबक लिया जा सकता है कि NDA को मजबूत किया जाए और गठबंधन के नेताओं का सम्मान किया जाए।
उन्होंने बताया कि पहले महाराष्ट्र और फिर झारखंड, इन दोनों राज्यों के चुनाव परिणाम के बाद NDA के अस्तित्व पर ही सवाल उठना शुरू हो गया है। महाराष्ट्र के चुनावी नतीजों के बाद NDA अपनी सबसे पुरानी सहयोगी शिवसेना को खो बैठी। झारखण्ड चुनाव से पहले आजसू ने सीट बंटवारे के मुद्दे पर NDA से नाता तोड़ लिया। लोजपा और JDU झारखण्ड में पहले से ही NDA गठबंधन से बाहर है। ऐसे में सवाल उठने लगा है कि क्या NDA में चीजें बदतर होने लगी हैं।