जानिए कैसे भरी सभा में इंदिरा गांधी के नाक से बहने लगा था खून, डॉक्टरों ने कही थी ये बात

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इंदिरा गाँधी का नाम तो सुना ही होगा. भारत की पूर्व प्रधान मंत्री इससे भी याद नहीं आया तो बता दें की ये वो महिला प्रधानमंत्री है जिन्होंने पाकिस्तान को दो टुकड़े कर एक देश का निर्माण किया था. वो है बांग्लादेश.

तो जो किस्सा हम सुनाने जा रहें है, इससे इंदिरा गाँधी के बारे में कुछ लोगों का एक बहुत पुराना भ्रम टूट जाएगा. अक्सर कहा जाता है कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने अपनी नाक की प्लास्टिक सर्जरी कराई थी लेकिन इसकी हकीकत कुछ और हैं.

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जी हाँ, आपने सही पढ़ा हकीकत कुछ और है. स्वर्गीय इंदिरा गाँधी ने सर्जरी कराई थी लेकिन इसलिए कि एक जनसभा में इंदिरा पर ईंट फेंकी गई जो सीधे उनके नाक पर आ लगी और खून बहने लगा. लेकिन उसके बाद भी उन्होंने भाषण जारी रखा साथ ही अपनी नाक के बहते खून को रोकने के लिए रूमाल से उसको दबा दिया। बाद में उनकी नाक का ऑपरेशन करना पड़ा था.

बात उस समय की है जब इंदिरा गाँधी फ़रवरी 1967 में लोकसभा चुनाव के लिए देश भर में चुनाव प्रचार कर रहीं थी. हालांकि उस समय भी देश में ज्यादातर लोगों को भ्रम था कि इंदिरा इतनी सुकोमल हैं कि देश के प्रधानमंत्री का भार नहीं उठा सकतीं. लेकिन वो लगातार ऐसी बातों को गलत साबित कर रहीं थीं.

1967 के चुनाव दौरान वो देश के कोने कोने गई और लाखों की संख्या में भीड़ उनको सुनने के लिए जुटती थी.

इस चुनाव प्रचार के दौरान जब वो ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर गईं, तो वहां भीड़ में कुछ उपद्रवी भी शामिल थें. आयोजकों द्वारा भीड़ को संभालना मुश्किल हो रहा था और इंदिरा गाँधी भाषण दी जा रही थी. इसी बीच उपद्रवियों ने उनपर पथराव कर दिया.

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पथराव में से एक ईंट इंदिरा गाँधी को आ कर लगती हैं. जिसके बाद से उनकी नाक से खून बहना जारी हो जाता हैं. मौजूद सुरक्षा अधिकारी उन्हें मंच से हटा कर ले जाना चाहते थे. स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ता अनुरोध कर रहें थे कि वो मंच के पिछले हिस्से में जाकर बैठ जाएं. लेकिन इंदिरा ने किसी की नहीं सुनी.

इस दौरान भी इंदिरा गाँधी निडरता के साथ मंच पर डटी रहीं. उन्होंने मंच से दिए भाषण उपद्रवियों को डांटतें हुए कहा कि ये मेरा अपमान नहीं है बल्कि देश का अपमान है. क्योंकि प्रधानमंत्री होने के नाते मैं देश का प्रतिनिधित्व करती हूं. इस घटना से सारे देश को गहरा झटका लगा.

भाषण पूरा करने के बाद इंदिरा गाँधी रुकी नहीं, वो कोलकाता में अगली जनसभा को सम्बोधित करने निकल गई इस दौरान उनके सुरक्षा अधिकारी उनको वापस दिल्ली चलने के लिए मनाते रह गयें.

इंदिरा गाँधी जब दिल्ली पहुंचीं उन्हें पता चला कि उनके नाक को खासी चोट आई है. इसका आपरेशन करना होगा. बेहोश करके उनकी नाक का आपरेशन किया गया.

हालांकि बाद में वो मजाक में कहती थीं कि मुझे तो लग रहा था कि डॉक्टर प्लास्टिक सर्जरी करके मेरी नाक को सुंदर बना देंगे. आप तो जानते ही हैं कि मेरी नाक कितनी लंबी है लेकिन इसे खूबसूरत बनाने का एक मौका हाथ से निकल गया. कमबख्त डॉक्टरों ने कुछ नहीं किया. मैं वैसी की वैसी ही रह गई.

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