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ज्योतिष शास्त्र की माने तो हिन्दू धर्म में व्यक्ति का भविष्य या उनके जीवन मे घटने वाली घटना जातक के राशि ग्रहों की चाल और उनकी स्थिति पर निर्भर करती है।ग्रहों की चाल और उनकी स्थिति जातक के जीवन को बहुत प्रभावित करती है।ऐसी परिस्थिति में कभी जातक को लाभ होता है तो कभी हानि होती है।कभी कभी यह लाभ हानि जातक को उचित और अनुचित कार्य करने के लिए प्रेरित भी करती है।

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क्या है मलमास ?

सूर्य ग्रह जब बृहस्पति की राशियों धनु और मीन में प्रवेश करता है तब मलमास होता है क्योंकि सूर्य की किरण की वजह से बृहस्पति निस्तेज हो जाते हैं। जबकि किसी भी शुभ और मांगलिक कार्यों के लिए वृहस्पति का मजबूत होना बहुत ही आवश्यक होता है। क्योंकि वृहस्पति ग्रह को मुख्य रूप से वैवाहिक सुख और संतान देने वाला ग्रह माना जाता है।इसे अधिकमास, मलमास, मलिम्लुच मास और पुरुषोत्तममास भी कहा जाता है।इसलिए खरमास में सभी शुभ कार्य नहीं किए जाते। एक पौराणिक मान्‍यता के अनुसार, 12 महीनों में वरुण, सूर्य, भानु, तपन, चण्ड, रवि, गभस्ति, अर्यमा, हिरण्यरेता, दिवाकर, मित्र और विष्णु 12 मित्र होते हैं।खरमास का अर्थ होता है खराब महीना। यानी वह महीना जब सभी प्रकार के शुभ कार्य बंद हो कर दिए जाएं। इस मास में सूर्य प्रतिकूल होते हैं, इस धारणा के चलते माना जाता है कि हर कार्य में असफलता नजर आती है। अधिक मास को पहले बहुत अशुभ माना जाता था। बाद में श्रीहरि ने इस मास को अपना नाम दे दिया। तभी से अधिक मास का नाम पुरुषोत्तम मास हो गया।

Note: भारत के विशेष क्षेत्र गंगा और गोदावरी के साथ-साथ उत्तर भारत के उत्तरांचल, उत्तरप्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, राजस्थान, राज्यों में सभी मांगलिक कार्य व यज्ञ करना इस मास मे निषेध होता है, जबकि पूर्वी व दक्षिण प्रदेशों में इस तरह का दोष नहीं माना गया है।तो चलिए आज इस आर्टिकल के माध्यम से यह जानते है कि वह कौन-कौन से कार्य हैं जो मलमास में नही करना चाहिए।

शुभ और मांगलिक कार्य नही करना चाहिए

हिंदू धर्म शास्त्र, ज्योतिष शास्त्र और वैदिक शास्त्र की माने तो इनके अनुसार मलमास में कोई भी शुभ कार्य जैसे शादी, सगाई, गृह प्रवेश, नए गृह का निर्माण इतयादि नही करना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस समयावधि के दौरान सूर्य गुरु की राशियों में रहता है, जिसके वजह से गुरु का प्रभाव कम हो जाता है। जबकि कोई भी शुभ और मांगलिक कार्यों के लिए गुरु का प्रबल होना बहुत ही आवश्यक होता है। वैदिक और ज्योतिष शास्त्र कहता है कि वृहस्पति किसी भी व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में सुख और संतान देने का कारक होता है।

विवाह नही करना चाहिए

वैदिक शास्त्र कहता है कि इस समयावधि के दौरान में किये गए विवाह जैसे शुभ कार्यों में पति पत्नी को किसी भी तरह के वैवाहिक सुख की प्राप्ति नहीं होती। इस तरह के रिश्‍ते में किसी भी तरह के शारीरिक सुख की भी प्राप्ति नहीं होती। इस तरह के विवाह मे पति-पत्‍नी में हमेशा अनबन बनी ही रहती है। इसलिए यदि किसी व्यक्ति का विवाह करना है तो मलमास से पहले करें या फिर इस मास के खत्म हो जाने के बाद करें।

किसी भी प्रकार का नया व्‍यवसाय आरंभ न करें

यदि हिंदू धर्म शास्त्र, ज्योतिष शास्त्र और वैदिक शास्त्र की माने तो इनके अनुसार मलमास में किसी भी प्रकार का नया व्यवसाय या नये कार्य की शुरूआत नही करनी चाहिए। माना जाता है कि इस मास में नये व्यवसाय की शुरुआत करने से जातक को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। व्‍यापार में हमेशा पैसों की तंगी बनी ही रहती है। इसलिए कोई भी नया काम, नई नौकरी या बड़ा निवेश करने से इस मास मे बचना चाहिए।

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मंगल कार्य मुंडन आदि न करें

ज्योतिष शास्त्र और वैदिक शास्त्र की माने तो इनके अनुसार मलमास के दौरान किए गए कोई भी शुभ कार्य के मंगल परिणाम नहीं आते हैं। इसलिए इस मास में कोई भी मुंडन और कर्णवेध या फिर अन्‍य कोई संस्‍कार नहीं करना चाहिए।

इस महीने में कोई गृह प्रवेश भी नहीं करना चाहिए। इस अवधि में कोई भी संपत्ति का क्रय या फिर विक्रय नहीं करना चाहिए। ऐसी संपत्ति भविष्‍य में आपका नुकसान करवा देती है।

मलमास मे करे यह काम

इस मास में सूर्य का गुरु राशि में गोचर होने की वजह से ये समय पूजा-पाठ और मंत्र जाप के लिए बेहद उपयोगी माना जाता है। इस समय अनुष्ठान से जुड़े कर्म को साथ पितरों से संबंधित श्राद्ध कार्य करना भी अनुकूल माना गया है।  इस मास में जलदान का भी बहुत महत्व माना जाता है। इस समय ब्रह्म मूहूर्त के समय किए गए स्नान को शरीर के लिए बहुत उपयोगी माना गया है।

 

 

 

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