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नई दिल्ली यूपी किरण।  वर्षा ऋतु के समाप्ति के पश्चात शरद ऋतु के प्रारम्भ होते ही हिन्दू घर्म में त्योहारों की शुरूआत हो जाती है। जिनमें सबसे पहले शारदीय नवरात्रि का पर्व आता है। नवरात्रि में आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। आए जानते हैं क्यों मनाया जाता है नवरात्र का पर्व।

शास्त्रों में नवरात्रि का त्योहार मनाए जाने के पीछे दो कारण बताए गए हैं, इन दोनों कारण के पीछे दो पौराणिक कथाएं हैं।

पहली पौराणिक कथा

एक बार महिषासुर नाम का एक राक्षस था, जो ब्रह्मा जी का बड़ा भक्त था। एक बार उसने ब्रह्माजी को प्रसन्न करने के लिए कठोरर तप किया और उन्हें प्रसन्न करके एक वरदान प्राप्त कर लिया। इस वर में उसने ब्रह्माजी से मांगा कि उसे कोई देव, दानव या पृथ्वी पर रहने वाला कोई मनुष्य या जीव मार ना पाए। वरदान प्राप्त होते ही उसमें अहंकार आ गया और वह बहुत निर्दयी हो गया और तीनो लोकों में आतंक माचने लगा। उसके आतंक से परेशान होकर सभी देवी-देवताओं ने मिलकर त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु, और महेश) की आराधना की और उनके साथ मिलकर आदिशक्ति के रूप में माँ दुर्गा को प्रकट किया। आततायी महिषासुर और माँ दुर्गा के बीच लगातार नौ दिनों तक भयंकर युद्ध के बाद दसवें दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया। तभी से इस दिन को अच्छाई पर बुराई की जीत के रूप में मनाया जाता है।

 

दूसरी पौराणिक कथा

जब भगवान राम लंका पर आक्रमण करने जा रहे थे तब उन्होंने युद्ध में जीत का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए शक्ति की देवी माँ भगवती की आराधना की थी। जिसके लिए भगवान राम ने रामेश्वरम में नौ दिनों तक माता आदिशक्ति की पूजा की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर माता ने प्रभु श्रीराम को लंका में विजय प्राप्ति का आशीर्वाद दिया। माता के आशीर्वाद के प्रभाव से भगवान राम ने लकां नरेश रावण को युद्ध में हराकर उसका वध करके लंका पर विजय प्राप्त की। और इसी दिन को विजय दशमी के रूप में जाना जाता है।

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