सावन का महीना बीतने में अब कुछ ही दिन रह गया है। इसके बाद भाद्रपद लग जायेगा। इस महीने में भी कई प्रमुख त्योहार पड़ेंगे जिनमें से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी विशेष हैं। हिंदू धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का ख़ासा महत्व है। मान्यता है कि श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के साथ रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। यही वजह है कि हर साल भादो के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को धूमधाम से कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है। जन्माष्टमी का पर्व इस साल 18 अगस्त दिन गुरुवार को मनाया जाएगा।
जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषी बता रहे हैं कि इस साल जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की पूजा के लिए कई शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। इस दिन दोपहर 12 बजकर 05 मिनट से 12 बजकर 56 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। इसके बाद रात 08 बजकर 41 मिनट से 19 अगस्त रात 08 बजकर 59 मिनट तक धुव्र योग का निर्माण हो रहा है। वहीं जन्माष्टमी से एक दिन पहले यानी 17 अगस्त को दोपहर 08 बजकर 56 मिनट से 18 अगस्त रात 08 बजकर 41 मिनट तक वृद्धि योग रहेगा।
पूजन विधि
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन सुबह नहा धोकर श्रीकृष्ण का श्रृंगार करना चाहिए। इसके बाद उन्हें अष्टगंध चन्दन, अक्षत और रोली का तिलक लगाएं, फिर माखन मिश्री और अन्य भोग सामग्री उन्हें अर्पित करें। इसके बाद श्री कृष्ण के विशेष मंत्रों का जाप करें। अब विसर्जन के लिए हाथ में कुच्च फूल और चावल लेकर चौकी पर छोड़ें और कहें- हे भगवान् कृष्ण! पूजा में पधारने के लिए आपका धन्यवाद।’ पूजा में काले या सफेद रंग का प्रयोग वर्जित माना जाता है। भगवान कृष्ण को वैजयंती के फूल अर्पित करना सर्वोत्तम माना जाता है। अंत में प्रसाद ग्रहण करें और सबको वितरित भी करें।
जन्माष्टमी का प्रसाद
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के प्रसाद में पंचामृत का भोग जरूर लगाना चाहिए। इसमें तुलसी दल भी जरूर डालें। कृष्ण को मेवा, माखन और मिसरी भोग भी लगाएं।
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