Up Kiran, Digital Desk: हिंदी सिनेमा ने आज अपने एक सुनहरे अध्याय को अलविदा कह दिया है। हमारी पुरानी फिल्मों की दिग्गज और सबसे खूबसूरत अदाकारा कामिनी कौशल जी का 98 साल की उम्र में निधन हो गया है। यह ख़बर पूरे फ़िल्मी जगत और उनके करोड़ों प्रशंसकों के लिए बहुत दुखद है, क्योंकि उनके जाने से बॉलीवुड में एक युग का अंत हो गया है, जहाँ उन्होंने अपनी शालीनता, अभिनय और विनम्रता से सभी के दिलों में जगह बनाई थी।
कामिनी कौशल, जिनका असली नाम उमा कश्यप था, उनका जन्म 24 फरवरी, 1927 को हुआ था। उन्होंने 1946 में फ़िल्म 'नीचा नगर' से अपने करियर की शुरुआत की थी, जिसने कान फ़िल्म फ़ेस्टिवल में टॉप अवार्ड (पाल्मे डी'ओर) जीता था। यह अकेली भारतीय फ़िल्म है जिसने यह अवार्ड अपने नाम किया है। उन्होंने अपने करियर में दिलीप कुमार और राज कपूर जैसे बड़े सितारों के साथ काम किया और 'शहीद', 'नदिया के पार', 'जिद्दी', 'शबनम' और 'आरज़ू' जैसी कई शानदार फ़िल्मों में अपनी अदाकारी से दर्शकों को मोह लिया। वे अपनी आखिरी सांस तक फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय रहीं, अपने बाद के सालों में भी उन्होंने 2019 की 'कबीर सिंह' और 2022 की 'लाल सिंह चड्ढा' जैसी फ़िल्मों में छोटी पर महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं।
उनके निधन के बाद से सोशल मीडिया पर उनके फैंस और इंडस्ट्री के साथी उन्हें याद कर रहे हैं। कई सितारों और उनके प्रशंसकों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी है। वे एक ऐसी अदाकारा थीं, जिनकी मुस्कान और उनकी आंखों की चमक ने लाखों दर्शकों को अपना दीवाना बनाया। अपनी पर्सनल लाइफ़ को बेहद प्राइवेट रखने वाली कामिनी कौशल जी का योगदान भारतीय सिनेमा में अमूल्य है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बना रहेगा। वे पीछे अपने तीन बेटों - श्रवण, विदुर और राहुल सूद को छोड़ गई हैं।
उनकी यात्रा सात दशकों से अधिक समय तक फैली हुई थी और भारतीय सिनेमा के लिए उनका योगदान अमूल्य है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बना रहेगा। यह वास्तव में भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक बड़ी क्षति है।
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