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Up Kiran, Digital Desk: कुल्थी की दाल का इतिहास हजारों साल पुराना है। इसका ज़िक्र वैदिक ग्रंथों में मिलता है और हड़प्पा सभ्यता की खुदाई में भी इसके प्रमाण मिले हैं। यह दर्शाता है कि भारतीय सभ्यता में इसका उपयोग सिर्फ आहार नहीं बल्कि एक दवार के रूप में भी होता था।
साउथ में इसे गरीबों की दाल कहा जाता है मगर इसके अंदर छिपे गुण इसे हर वर्ग के लिए अमूल्य बनाते हैं। यह दाल कर्नाटक आंध्र प्रदेश छत्तीसगढ़ और हिमालयी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर उपयोग में लाई जाती है।
पोषण का पावरहाउस
कुल्थी की दाल सिर्फ एक सस्ती प्रोटीन का स्रोत नहीं है बल्कि इसमें पाए जाते हैं वो पोषक तत्व जो शरीर को अंदर से स्वस्थ और सशक्त बनाते हैं:
प्रोटीन: मांसपेशियों और ऊतकों के निर्माण में सहायक।
आयरन: एनीमिया से लड़ने के लिए अत्यंत लाभकारी।
कैल्शियम और फॉस्फोरस: हड्डियों को मजबूत बनाने में मददगार।
फाइबर: पाचन क्रिया को बेहतर करता है और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करता है।
पोटेशियम व मैग्नीशियम: ब्लड प्रेशर को संतुलित करने में सहायक।
कुल्थी और आयुर्वेद: एक गहरा रिश्ता
आयुर्वेद में कुल्थी को पथरी मोटापा बवासीर हाई कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज जैसी बीमारियों में बेहद असरदार माना गया है। आइए समझते हैं इसके कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक लाभ-
1. किडनी स्टोन (पथरी) का समाधान
कुल्थी में मौजूद फेनोलिक एसिड और फ्लैवोनॉएड्स किडनी स्टोन को तोड़ने और बाहर निकालने में मदद करते हैं। रातभर भीगी हुई कुल्थी का पानी पीना विशेष रूप से लाभकारी माना गया है।
2. कोलेस्ट्रॉल और दिल की सेहत
कुल्थी में मौजूद फाइबर एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) को नियंत्रित करता है। सुबह खाली पेट इसका पानी पीने से हार्ट ब्लॉकेज का खतरा कम हो सकता है।
3. डायबिटीज के लिए वरदान
यह दाल धीरे पचने वाले कार्बोहाइड्रेट और फाइबर से भरपूर होती है जो ब्लड शुगर के स्तर को स्थिर रखने में मदद करती है।
4. वजन घटाने में सहायक
फाइबर युक्त होने के कारण कुल्थी लंबे समय तक पेट भरा महसूस कराती है और मेटाबोलिज़्म को बेहतर बनाकर वजन कम करने में सहायता करती है।
5. हड्डियों और खून की मजबूती
इसमें भरपूर कैल्शियम और आयरन होता है जो हड्डियों को मजबूत और शरीर में खून की मात्रा बढ़ाने में मदद करता है।
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