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Up Kiran, Digital Desk: कुत्ते के काटने की घटना के बाद अक्सर घबराहट और डर स्वाभाविक होते हैं, मगर कभी-कभी यह घबराहट इतनी अधिक हो जाती है कि लोग सही उपचार लेने की बजाय घर पर इलाज करने की कोशिश करते हैं। इन घरेलू उपायों के बारे में कोई ठोस प्रमाण नहीं है कि ये कुत्ते के काटने से होने वाली समस्याओं को ठीक कर पाते हैं। असल में ये उपाय कभी-कभी जानलेवा भी साबित हो सकते हैं। कई लोग यह मानते हैं कि कुत्ते का काटना अगर सिर्फ एक खरोंच है या खून नहीं बह रहा है तो इससे कोई खतरा नहीं है मगर यह लापरवाही जीवन के लिए बड़ा खतरा बन सकती है।
कुत्ते के काटने के बाद सबसे बड़ी बीमारी जो हो सकती है वह है रेबीज। इसका सही उपचार तुरंत करना जरूरी है, क्योंकि अगर इसका इलाज नहीं किया गया तो यह जानलेवा हो सकता है। इसके अलावा कुत्ते के मुंह में कई तरह के बैक्टीरिया होते हैं जो शरीर में संक्रमण फैला सकते हैं, जैसे कि टेनेस्मस (गंभीर आंतों की समस्या) या गंभीर त्वचा संक्रमण। कभी-कभी इन बैक्टीरिया के कारण खून का संक्रमण (सेप्सिस) भी हो सकता है। ऐसे में मरीज की जान बचाना सबसे महत्वपूर्ण है और घरेलू उपचारों से बचना चाहिए।
रेबीज वायरस के खतरे
जब रेबीज वायरस शरीर में प्रवेश करता है, तो यह मांसपेशियों और नसों के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुंचता है। इसके शुरुआती लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, कमजोरी, घबराहट और बेचैनी होती है। जैसे-जैसे यह बढ़ता है ये पक्षाघात, मानसिक भ्रम, दौरे और कोमा का कारण बन सकता है। इंसानों पर इसका प्रभाव बहुत गंभीर होता है और संक्रमित होने के बाद मौत की संभावना बहुत अधिक होती है।
पहला बड़ा गलत कदम - घरेलू उपचार पर निर्भर रहना
सबसे बड़ी गलती यह होती है कि लोग समय पर डॉक्टर के पास नहीं जाते और घर में पाए जाने वाले उपायों जैसे नींबू का रस लगाना, मिर्च लगाना, हल्दी या सरसों का तेल लगाना, या राख लगाना शुरू कर देते हैं, यह सोचकर कि इनसे संक्रमण रुक जाएगा। मगर यह तरीका बहुत खतरनाक हो सकता है। इन उपायों से घाव में और भी इन्फेक्शन हो सकता है, जिससे बैक्टीरिया फैलने के लिए आसान रास्ता मिल जाता है।
दूसरी बड़ी गलती - इलाज में देरी करना
किसी भी दुर्घटना के बाद इलाज में देरी बहुत खतरनाक हो सकती है, खासकर कुत्ते के काटने के मामले में। क्योंकि यहां रेबीज के फैलने का खतरा होता है, जो कि मरीज की जान ले सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, रेबीज का पहला टीका 24 से 36 घंटे के भीतर ही लगवाना जरूरी है। अगर समय पर टीका नहीं लिया गया, तो शरीर में रेबीज फैल सकता है।
AIIMS और WHO की गाइडलाइंस के अनुसार
- सबसे पहले कुत्ते के काटने के बाद घाव को 10 से 15 मिनट तक साबुन और साफ पानी से अच्छे से धो लें।
- घाव को धोने के बाद एंटीसेप्टिक लगाएं।
- अगर घाव से खून बहना बंद नहीं हो रहा है, तो उस पर पट्टी बांधकर खून बहने को रोके।
- नजदीकी अस्पताल या डॉक्टर के पास जाकर रेबीज का टीका लगवाएं।
- अगर जरूरत हो, तो इम्यूनोग्लोबुलिन का इंजेक्शन भी लिया जा सकता है।
- जितना जल्दी इन कदमों को उठाया जाएगा, उतना ही जोखिम कम होगा।
याद रखें कुत्ते का काटना कोई मामूली घाव नहीं है। अगर गलत इलाज किया गया, घरेलू उपचार पर निर्भर रहे और उपचार में देरी की तो यह सारी चीजें मिलकर जानलेवा साबित हो सकती हैं। सही समय पर सही उपचार ही इस खतरे से बचने का सबसे प्रभावी तरीका है।
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