कोविड महामारी के चलते कई लोगों की जिंदगी बदल गई है. ऐसी ही एक घटना अब उजागर हुई है. कभी बंगाल में मजदूरी करने वाले श्याम सुंदर के लिए लॉकडाउन वरदान साबित हुआ है. मजदूरी का काम छोड़कर वे वापस कटिहार गांव आ गये और रसगुल्ला बनाने की फैक्ट्री खोल ली। आज रसगुल्ले की सप्लाई कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर के साथ साथ बंगाल में होती है. प्रतिदिन पांच क्विंटल रसगुल्ले सप्लाई होते हैं। इससे महीने में अच्छी कमाई हो जाती है. साथ ही उन्होंने कई लोगों को रोजगार भी दिया है. श्याम सुंदर हर दिन 80 हजार रुपये के रसगुल्ले बेचते हैं.
कटिहार के सौरिया पंचायत के सिहला गांव के श्याम सुंदर साह की कहानी लोगों को हार न मानने की प्रेरणा देती है. वे कटिहार के डंडखोरा ब्लॉक में मिठाई बनाने की फैक्ट्री लगाकर प्रतिदिन 5 क्विंटल मिठाई की सप्लाई कर रहे हैं. इस काम में उनकी पत्नी रीता देवी उनका पूरा सहयोग करती हैं। कोरोना से पहले श्याम सुंदर साह बंगाल की एक फैक्ट्री में दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करते थे. लेकिन कोरोना संकट के दौरान जब सारा काम-काज ठप हो गया तो श्याम सुंदर साह घर लौट आए और खुद कुछ करने का फैसला किया और मिठाई की फैक्ट्री शुरू की.
श्याम सुंदर साह महज चार रुपये में मिठाइयां बनाते हैं और पूरे कटिहार जिले के साथ-साथ पड़ोसी शहरों एवं बंगाल में थोक आपूर्ति करते हैं। वे यहां 160 रुपये प्रति किलो के हिसाब से मिठाइयां बेचते हैं. ऐसे में प्रतिदिन 80 हजार रुपये की बिक्री होती है. इसलिए उनका रोजगार भी अच्छा चल रहा है. उनकी फैक्ट्री में इस वक्त कई लोग नौकरी कर रहे हैं।
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