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लखनऊ।।शासन ने जिस अभियंता को भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी पाया था और यहाँ तक कि चार्जशीट भी जारी कर दी गयी थी लेकिन मंत्री से नजदीकियों के चलते उस भ्रष्ट अफसर को

ग्रामीण अभियंत्रण विभाग (RED) का निदेशक का चार्ज मिल ही गया। विभाग के अपर मुख्य सचिव ने जिस इंजीनियर को दोषी ठहरा कर उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की संस्तुति की थी, उसे पहले विभागीय मंत्री ने पहले उसे क्लीन-चिट दी और अब उसी इंजीनियर को निदेशक के पद पर तैनात कर दिया गया है।

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हालाँकि विभाग मे चल रहे विभागीय मंत्री राजेंद्र सिंह के खेल का खुलासा यूपी किरण ने मार्च में कर दिया था लेकिन विभाग में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी मजबूत हैं कि जिम्मेदारों ने इन भ्रष्टों के काकस को उखाड़ फेंकने में कोई रूचि दिखाई और इसके उलट विभाग की कमान कई गंभीर मामलों में आरोप-सिद्ध घोटालों के आरोपी रहे इसी इंजीनियर के हाथों में विभाग की कमान सौंप दी गई है।

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गौरतलब है कि वर्ष 2012-13 में ‘बार्डर एरिया डेवलपमेंट योजना’ के तहत श्रावस्ती के विधान-सभा क्षेत्र -भिनगा में दो नालों पर पुलिया का निर्माण होना था। तत्कालीन अधीक्षण अभियंता आरपी सिंह की निगरानी में यह काम कराये गये। इसमें एक पुलिया गुलरा-पड़वलिया मार्ग के भैंसाही नाले पर बना लेकिन यह ज्यादा समय ठहर नहीं सका। दूसरी पुलिया शिवपुर-नाले पर ककरदरी के पास बरगदहां-गांव में बना जो पहली बरसात भी नहींझेल सका।

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हालाँकि उस वक्त ये मामला काफी उछला और जिलाधिकारी-श्रावस्ती ने मामले की जांच के लिए ‘उच्चस्तरीय-समिति’ का गठन भी कर दिया और यही नहीं जाँच में इन निर्माण कार्यों में गंभीर-अनियमितता बरते जाने का आरोप भी प्रमाणित पाया गया,लेकिन जब आरोपी इंजीनियर आरपी सिंह को नोटिस भेजकर स्पष्टीकरण मांगा गया तो आरपी सिंह ने स्पष्टीकरण देने में कोई रूचि नहीं ली। तब फिर शासन ने इसी वर्ष 12 जनवरी को आरोपी अभियंता की सत्यनिष्ठा को संदिग्ध करते हुए परिनिन्दा प्रविष्टि दे दी। इसके विरूद्ध आरपी सिंह ने आनन-फानन में अपना जवाब शासन को 21 जनवरी को सौंपा, जो कि फाइलों में टहलता रहा।

लेकिन बीजेपी की सरकार बनने के बाद इस फाइल ने तेजी पकड़ ली।लेकिन विभागीय मंत्री के इस मामले में रूचि के कारण बीते 31 मई को आरोपी भ्रष्ट इंजिनियर को सिर्फ सचेत कर पुलिया-निर्माण में हुई गड़बड़ियों के आरोप से मुक्त कर दिया गया।

 

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