Up kiran,Digital Desk : यह रहा रामपुर जिला अस्पताल की दुखद घटना पर आधारित एक नेचुरल, मानवीय और इमोशनल टच वाला आर्टिकल। इसे बिलकुल सरल भाषा में लिखा गया है ताकि पाठकों को जमीनी हकीकत का अहसास हो।
अस्पताल वो जगह होती है जहाँ लोग उम्मीद लेकर जाते हैं कि उनका अपना ठीक होकर लौटेगा, लेकिन उत्तर प्रदेश के रामपुर (Rampur) जिला अस्पताल से जो खबर आ रही है, उसने मानवता को झकझोर कर रख दिया है। पिछले 24 घंटों के अंदर, यानी रविवार रात से लेकर सोमवार सुबह तक, एक-एक करके पांच मरीजों ने दम तोड़ दिया। अस्पताल परिसर में सिर्फ रोते-बिलखते परिजन और उनका गुस्सा दिखाई दे रहा है।
वो खौफनाक 24 घंटे: किसने अपनी जान गंवाई?
रविवार की रात जिला अस्पताल की इमरजेंसी में कुछ गंभीर मरीज भर्ती हुए थे। उम्मीद थी कि इलाज मिलेगा, लेकिन सोमवार की सुबह सूरज निकलने तक 5 परिवार उजड़ चुके थे। मरने वालों में एक 13 साल का मासूम बच्चा भी शामिल था।
मृतकों की पहचान कुछ इस तरह हुई है:
- अनोखे सिंह (80 वर्ष)
- जुबे (13 वर्ष) - जिसकी अभी पूरी जिंदगी बाकी थी।
- महफूज (33 वर्ष) - भरी जवानी में चला गया।
- शांति (70 वर्ष)
- वीरवती (60 वर्ष)
वहीं, एक मरीज जब्बार की हालत बिगड़ने पर उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया गया है।
"डॉक्टर सीट पर नहीं थे" - वायरल वीडियो का सच क्या है?
इस दर्दनाक घटना के बाद परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा है। उनका साफ आरोप है कि यह मौतें बीमारी से नहीं, बल्कि लापरवाही से हुई हैं। परिजनों का कहना है कि जब रात में मरीजों की हालत बिगड़ने लगी, तो वे भागकर इमरजेंसी में तैनात डॉक्टरों को बुलाने गए, लेकिन वहां कोई डॉक्टर मौजूद ही नहीं था। वे इधर-उधर भटकते रहे, लेकिन समय पर इलाज नहीं मिला और उनकी आँखों के सामने उनके अपनों की सांसे थम गईं।
सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें तीमारदार रोते हुए चीख-चीख कर कह रहे हैं कि डॉक्टर मौके पर नहीं थे। यह वीडियो देखकर किसी का भी दिल पसीज जाए।
अस्पताल प्रशासन ने झाड़ा पल्ला: "मरीज गंभीर थे, डॉक्टर राउंड पर थे"
जहां एक तरफ परिजन लापरवाही का इल्जाम लगा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ अस्पताल प्रशासन अपनी अलग ही कहानी बता रहा है। सीएमएस (CMS) डॉ. बीसी सक्सेना ने लापरवाही के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।
प्रशासन की सफाई है कि:
- डॉक्टर ड्यूटी पर थे: सीएमएस का कहना है कि जांच में सभी डॉक्टर ड्यूटी पर पाए गए हैं। हो सकता है वे उस वक्त इमरजेंसी की कुर्सी पर न होकर दूसरे वार्ड में किसी और मरीज को देख रहे हों।
- रेफर किया था, नहीं ले गए: डॉक्टर सक्सेना का तर्क है कि 3 मरीजों (जिनकी उन्होंने पुष्टि की है) की हालत बेहद नाजुक थी। उन्हें हायर सेंटर रेफर किया गया था, लेकिन परिजन उन्हें लेकर नहीं गए, जिसके चलते उनकी मौत हुई।
अब सवाल यह है कि एक ही रात में 5 मौतें क्या सिर्फ़ संयोग है? फिलहाल अस्पताल में कोहराम मचा है और लोग बस यही पूछ रहे हैं कि अगर डॉक्टर राउंड पर थे भी, तो इमरजेंसी में कोई बैकअप क्यों नहीं था? सच्चाई चाहे जो हो, लेकिन रामपुर में 5 घरों के चिराग हमेशा के लिए बुझ गए हैं।
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