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Up kiran,Digital Desk :  एक दशक पहले लागू हुए लोकपाल कानून में सुधार की आवश्यकता महसूस की जा रही है। सरकार इस कानून के कुछ नियमों पर पुनर्विचार कर रही है ताकि इसमें मनमानी की गुंजाइश को खत्म किया जा सके और इसकी कार्यप्रणाली को अधिक प्रभावी बनाया जा सके।

वर्तमान ढांचा और प्रमुख नियुक्तियां

वर्तमान में, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस अजय माणिकराव खानविलकर लोकपाल के अध्यक्ष के तौर पर सेवाएं दे रहे हैं। लोकपाल संस्था, जिसने 27 मार्च, 2019 को काम करना शुरू किया था, में एक अध्यक्ष और आठ सदस्य हो सकते हैं, जिनमें से चार न्यायिक (judicial) और चार गैर-न्यायिक (non-judicial) पृष्ठभूमि से होते हैं। कानून में यह प्रावधान है कि भ्रष्टाचार से संबंधित शिकायतों पर फैसला करने के लिए अलग-अलग पीठें (benches) काम कर सकती हैं।

सुधारों की ओर सरकार का कदम

हालांकि, सरकार इन नियमों की प्रभावशीलता और कार्यान्वयन का पुनर्मूल्यांकन कर रही है। संभव है कि भविष्य में इन नियमों में कुछ ऐसे बदलाव किए जाएं, जो शिकायतों के निपटान प्रक्रिया को तेज और अधिक पारदर्शी बनाएं, साथ ही किसी भी प्रकार के दुरुपयोग या मनमानी को रोकें।

जस्टिस खानविलकर के नेतृत्व में, लोकपाल से अपेक्षा की जाती है कि वह भ्रष्टाचार के मामलों से निपटने में अधिक सक्रिय और सक्षम भूमिका निभाएगा। कानून में प्रस्तावित सुधार इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकते हैं।