Up kiran,Digital Desk : अक्सर हम नितिन गडकरी को बड़े-बड़े हाईवे, पुलों और देश के विकास की बातें करते हुए देखते हैं। लेकिन मंगलवार (25 नवंबर) को ब्रज की पावन धरा बरसाना में उनका एक अलग ही रूप देखने को मिला। जब राष्ट्र की जिम्मेदारी संभालने वाला कोई व्यक्ति भक्ति की भूमि पर कदम रखता है, तो वह दौरा महज एक सरकारी यात्रा नहीं रह जाता, बल्कि एक भावनात्मक जुड़ाव बन जाता है।
नितिन गडकरी आज पूरी तरह से राधारानी के रंग में रंगे नजर आए। हेलिकॉप्टर से लेकर मंदिर की सीढ़ियों तक, हर पल भक्तिभाव से भरा रहा।
सबसे पहले 'गौमाता' की सेवा
भारतीय संस्कृति में गाय को मां का दर्जा दिया गया है और गडकरी ने अपनी यात्रा की शुरुआत यहीं से की। उनका हेलिकॉप्टर सीधे माताजी गौशाला परिसर में उतरा। वहां उतरते ही उन्होंने सबसे पहले गौसेवा की। गायों को चारा खिलाया और उनका आशीर्वाद लिया। वहां मौजूद लोग यह देखकर खुश थे कि इतना बड़ा मंत्री जमीन से जुड़कर गौसेवा कर रहा है।
रोपवे से मंदिर और वो 'नतमस्तक' होने का पल
गौशाला के बाद बारी थी 'लाड़ली जू' यानी श्री राधारानी के दर्शन की। मंत्री जी ने मंदिर तक जाने के लिए रोपवे का सहारा लिया। जैसे ही वो श्रीजी मंदिर के आंगन में पहुंचे, माहौल पूरी तरह बदल गया। मंदिर की चौखट पर पहुंचकर नितिन गडकरी ने घुटनों के बल झुककर माथा टेका। एक आम भक्त की तरह उन्होंने राधा रानी से देश की सुख-समृद्धि की कामना की।
वहां भाजपा के वरिष्ठ नेता नंदन लाल ने ब्रज की परंपरा के मुताबिक दुपट्टा ओढ़ाकर उनका स्वागत किया। इस दौरान मंदिर परिसर "राधे-राधे" के जयकारों से गूंज रहा था और गडकरी जी के चेहरे पर एक अलग ही सुकून दिखाई दे रहा था।
संतों का सानिध्य: पूज्य रमेश बाबा से मुलाकात
दर्शन के बाद नितिन गडकरी कथा स्थल की ओर गए, जहां भागवत कथा चल रही थी। वहां ब्रज के सुप्रसिद्ध और सम्मानित संत, पद्मश्री पूज्य रमेश बाबा विराजमान थे। गडकरी ने बड़ी श्रद्धा के साथ रमेश बाबा के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। दोनों के बीच थोड़ी देर आध्यात्मिक चर्चा भी हुई।
इस मौके पर नितिन गडकरी ने एक बहुत गहरी बात कही। उन्होंने कहा, "बरसाना सिर्फ पूजा-पाठ की जगह नहीं है, यह प्रेरणा का स्रोत है। यहां से मिलने वाली आध्यात्मिक ऊर्जा हमें राष्ट्र निर्माण के काम में नई दिशा और ताकत देती है।"
इस यात्रा के दौरान स्थानीय संतों और ब्रजवासियों ने जिस गर्मजोशी से उनका स्वागत किया, उसने यह साबित कर दिया कि ब्रज की मेहमाननवाजी और अपनापन सबसे निराला है।
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