Up Kiran, Digital Desk: नमस्कार दोस्तों! तो आख़िरकार वो घड़ी आ ही गई जिसका बिहार की जनता और सियासी गलियारों में हफ़्तों से इंतज़ार था। जी हाँ, पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान ने आज एक बार फिर इतिहास बनते देखा है। 'सुशासन बाबू' कहे जाने वाले नीतीश कुमार ने रिकॉर्ड 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है।
भाई साहब, 10वीं बार! सोचिये जरा, यह अपने आप में एक ऐसा रिकॉर्ड है जो शायद ही निकट भविष्य में कोई तोड़ पाए। और इस बार तो नज़ारा ही कुछ और था—मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा जैसी दिग्गज हस्तियां मौजूद थीं। पूरा गांधी मैदान 'जय श्री राम' और 'नीतीश कुमार जिंदाबाद' के नारों से गूंज उठा।
लेकिन आप यहाँ सिर्फ शपथ की ख़बर पढ़ने नहीं आए हैं, आप जानना चाहते हैं कि इस बार कैबिनेट में किन-किन विधायकों की लॉटरी लगी है? आखिर 2025 के इस भारी जनादेश (NDA ने 243 में से 202 सीटें जीती हैं!) के बाद किसे कुर्सी मिली और कौन रह गया? तो चलिए, बिना किसी लाग-लपेट के, एकदम ठेठ अंदाज में समझते हैं बिहार कैबिनेट 10.0 का पूरा गणित।
पुराने खिलाड़ियों पर भरोसा और नए चेहरों का जोश
नीतीश कुमार ने अपनी टीम 10.0 में संतुलन साधने की पूरी कोशिश की है। एक तरफ जहाँ तजुर्बेकार नेताओं को फिर से मौका मिला है, वहीं जातीय समीकरणों को साधने के लिए कुछ चेहरों को प्रमुखता दी गई है।
डिप्टी सीएम की कुर्सी का क्या हुआ?
सबसे बड़ा सवाल यही था, है ना? तो सस्पेंस खत्म हो गया है। बीजेपी ने अपने फायरब्रैंड नेताओं सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा पर ही दांव खेला है। दोनों ने फिर से उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। यानी बीजेपी ने साफ़ कर दिया है कि आक्रामक तेवर और नेतृत्व में कोई बदलाव नहीं होगा।
बिहार कैबिनेट 10.0: शपथ लेने वाले मंत्रियों की लिस्ट
शपथ ग्रहण समारोह में कुल मिलाकर 26 से ज्यादा नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली है इसमें बीजेपी और जेडीयू (JDU) का बोलबाला है, लेकिन सहयोगी दलों को भी मिठाई मिली है।
जेडीयू (JDU) के कोटे से इन दिग्गजों की हुई वापसी:
नीतीश कुमार ने अपने पुराने भरोसेमंद सिपाहियों को नहीं छोड़ा है:
- बिजेंद्र प्रसाद यादव: (सरकार चाहे किसी की भी हो, इनकी बिजली गुल नहीं होती! ये दशकों से पावरफुल हैं)
- श्रवण कुमार: (नालंदा कनेक्शन और पार्टी के पुराने वफादार)
- अशोक चौधरी: (दलित चेहरा और कुशल संगठनकर्ता)
- लेसी सिंह: (सीमांचल की मजबूत नेत्री)
- मदन सहनी
- सुनील कुमार (पूर्व IPS, प्रशासन से राजनीति में आए)
- मो. जमा खान (अल्पसंख्यक चेहरा)
बीजेपी (BJP) के 'मोदी मन्त्र' वाले मंत्री
बीजेपी ने उन नेताओं को आगे किया है जो संगठन और सरकार के बीच सेतु बन सकें:
नितिन नवीन: (पटना की नब्ज पहचानते हैं, युवाओं में लोकप्रिय)
दिलीप कुमार जायसवाल: (राजस्व और संगठन के पुराने खिलाड़ी)
डॉ. प्रेम कुमार (गया से लगातार जीतते आ रहे हैं, इनके विधानसभा अध्यक्ष बनने की चर्चा भी जोरों पर है)
रेणु देवी: (नारी शक्ति का प्रतिनिधित्व, पूर्व डिप्टी सीएम भी रह चुकी हैं)
रामकृपाल यादव: (पाटलिपुत्र के शेर कहे जाते हैं)
नीतीश जी सबको साथ लेकर चलने के लिए जाने जाते हैं।
सहयोगी दलों (NDA Allies) को क्या मिला?
- LJP (Ram Vilas): चिराग पासवान की पार्टी से संजय कुमार सिंह को मौका मिला है, जिन्होंने महुआ में बड़ी जीत दर्ज की थी।
- RLM: उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी से दीपक प्रकाश ने मंत्री पद की शपथ ली।
इस जनादेश का मतलब क्या है?
दोस्तों, 2025 के चुनाव परिणाम (NDA: 202 सीटें) बताते हैं कि बिहार की जनता ने 'स्थिरता' और 'विकास' के नाम पर मोहर लगाई है। बार-बार के 'पलटीमार' नाटकों के बावजूद, ब्रांड नीतीश और पीएम मोदी की जोड़ी पर लोगों का विश्वास कायम है। विपक्ष का लगभग सूपड़ा साफ़ हो गया है।
कैबिनेट को देखकर साफ़ लगता है कि 2025 में सरकार का फोकस इंफ्रास्ट्रक्चर, लॉ एंड आर्डर और युवाओं के रोज़गार पर होगा। (याद है ना 10 लाख नौकरी वाला वादा? अब उसे निभाने का वक़्त आ गया है!)
जाते-जाते: आपके लिए एक सवाल
अब जबकि 'डबल इंजन' की सरकार पूरी ताकत (सुपर इंजन) के साथ वापस आ गई है, तो क्या आपको लगता है कि बिहार से पलायन और बाढ़ जैसी समस्याओं का स्थायी हल निकल पाएगा? या फिर यह टर्म भी सिर्फ़ राजनीति चमकाने में निकल जाएगा?
अपनी राय ज़रूर बना कर रखिये, क्योंकि अब खेल शुरू हो चुका है! बिहार की हर हलचल के लिए जुड़े रहें।
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