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नई दिल्ली॥ मुजफ्फरपुर जिले के कांटी प्रखंड क्षेत्र में कई गांवों को गंडक नदी ने अपने आगोश में ले लिया है। पूरा इलाका जलमग्न है। ऐसे में करीब डेढ़ सौ परिवारों ने मुजफ्फरपुर- दरभंगा मुख्य मार्ग एनएच 27 पर अपना आशियाना बनाया है। जिला प्रशासन द्वारा विस्थापित सभी बाढ़ पीड़ितों के लिए दो वक्त का खाना सामुदायिक रसोई लगाकर उपलब्ध कराया गया है लेकिन शुद्ध पीने का पानी और बिजली की कोई व्यवस्था नहीं है।

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सपरिवार लोग तंबू बनाकर बीच सड़क पर रह रहे हैं। बाढ़ पीड़ित जितेंद्र का कहना था कि सपरिवार लोग सड़कों पर हैं।सबसे बड़ी बात यह कि सुरक्षा नहीं है। एक-एक पन्नी तंबू बनाने के लिए उपलब्ध करायी गयी है और दोपहर करीब 2:00 बजे और रात करीब 11:00 बजे जिला प्रशासन खाना उपलब्ध कराता है जिससे परिवार मेरा भूखा नहीं है लेकिन मेरे पास जो मवेशी है ,चाहे और लोग जो यहां रह रहे हैं उनके मवेशी के रहने और खाने का कोई इंतजाम नहीं है।

शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं

उसने कहा कि 5 दिन बीत गये लेकिन अब तक शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं की गई है। क्या सरकार और प्रशासन की नजर में हम सभी बिहार वासी नहीं है या फिर गरीबों को जीने का हक नहीं है। काफी चालू सड़क है बहुत से वाहन आते जाते हैं और काफी तेज रफ्तार होती है। डर लगता है कि पन्नी से बाहर कहीं छोटा बच्चा किसी का भी हो निकल ना जाए और कहीं दुर्घटना ना हो जाए। इसलिए रात भर जग कर सुबह कर लेते हैं पुलिस प्रशासन भी रात में नहीं घूमता है।

विस्थापित बाढ़ पीड़ित धर्मेंद्र का कहना है कि जो व्यवस्था प्रशासन ने की है लेकिन उस व्यवस्था में काफी कमियां हैं।आदमी को भोजन उपलब्ध करा दे रहे हैं पर बेजुबान पशु को हम सभी क्या खिलाएंगे। पशुओं का चारा बिल्कुल डूब चुका है। दिन भर धूप में रहता है और जब बारिश होती है तो उसी में भींगता रहता है। कैसे क्या करें यही समझ में नहीं आ रहा है।

मामले में पूछे जाने पर अंचलाधिकारी कांटी ने कहा कि भोजन दो समय सभी को दिया जा रहा है, पानी और बिजली का बंदोबस्त जल्द कर दिया जाएगा। पानी टैंकर से मंगवाकर सभी को खाना खिलाने समय दिया जाता है। प्रशासन की टीम हमेशा तत्तपर रहती है। आपदा की घड़ी है सभी को मिल जुल कर चलना है।

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