विदेशी धरती पर पीएम मोदी ने भारत की पूर्व सरकारों की कई बार आलोचना की है मगर पहली बार लगता है मनमोहन सरकार के काम की तारीफ कर गए। मगर बड़ी चालाकी के साथ पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के काम का खुद क्रेडिट ले गए, पीएम मोदी।
फ्रांस में प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने दावा किया कि यूएन की एक ऐसी रिपोर्ट आई है जो कहती है कि भारत में 42 करोड़ के करीब लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाल दिया। उस रिपोर्ट में यूएन कहता है, सिर्फ 10 15 साल के भीतर ही भारत ने 42 करोड़ देशवासियों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला है।
पीएम मोदी ने कहा कि पिछले 10 15 सालों में पीएम मोदी का यह कहना कि पिछले 10 15 सालों में भारत ने करीब 42 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला है। आखिरकार पीएम मोदी ने 10 15 साल क्यों बोला। सीधा बोलना चाहिए था 2005 से लेकर 2021 तक। क्योंकि यूएन की जिस रिपोर्ट का पीएम मोदी ने हवाला दिया, उसमें बताया गया है कि 2005 से लेकर 2021 तक भारत में करीब 42 करोड़ 41,50,00,000 लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला गया। इसमें दिलचस्प पहलू यह है कि करीब साढ़े 27 करोड़ लोगों को 2005 से लेकर 2015 के बीच गरीबी रेखा से बाहर निकाला गया, जिसमें तकरीबन नौ साल का कार्यकाल मनमोहन सिंह का था।
यूएन की इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि उसके बाद अगले छह साल में मोदी सरकार ने 14 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला। यानी मनमोहन सरकार की तुलना में मोदी सरकार में गरीबों को गरीबी रेखा से बाहर निकालने की रफ्तार कम हो गई तो इसका ज्यादा क्रेडिट जाता है पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को। मगर पीएम मोदी ने जानबूझकर 10 15 साल बोला। क्या पीएम मोदी को पूरी जानकारी नहीं थी कि ये दो हज़ार पाँच से लेकर दो हज़ार 21 की रिपोर्ट है। उसके बाद ये रिपोर्ट यह भी बताती है कि फिलहाल भी भारत में 23 करोड़ से ज्यादा ऐसे लोग हैं जो बेहद बुरे हालात में जीने को मजबूर हैं।
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