वेस्ट बंगाल में BJP और वाम-कांग्रेस के मोर्चे से लड़ाई की रणनीति तैयार कर रही सीएम ममता बनर्जी के लिए AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने सांप-छछूंदर की स्थिति पैदा कर दी है। ओवैसी ने साथ इलेक्शन लड़ने का प्रस्ताव दे दिया है जिसे स्वीकार करना और न करना दोनों की ममता की मुश्किलें बढ़ाएगा। यही वजह है कि ओवैसी के प्रस्ताव पर तृणमूल में चुप्पी है।
अभी अभी वेस्ट बंगाल से सटी बिहार विधानसभा की 5 सीटों पर जीत से बहुत प्रसन्न हैं ओवैसी ने तृणमूल के सामने पासा फेंका था। उन्होंने कहा था कि BJP को हराने के लिए वह ममता के साथ मिलकर इलेक्शन लड़ना चाहते हैं। ये इसलिए एक पासा कहा जा सकता है क्योंकि वहां किसी घोषणा से पहले ओवैसी अपने लिए आधार तैयार करना चाहते हैं।
जानकारी के मुताबिक, 294 सीटों वाली वेस्ट बंगाल विधानसभा मे 48 से कुछ अधिक सीटें ऐसी हैं जहां अल्पसंख्यक मुस्लिम वोटर प्रभावी है। वैसे तो बनर्जी पर अल्पसंख्यक राजनीति करने का इल्जाम ही चस्पा रहा है, मगर भारतीय जनता पार्टी के बढ़ते राजनीतिक दबाव के कारण पिछले कुछ वर्षों में वह साफ्ट हिंदुत्व की तऱफ बढ़ी हैं।
जबकि AIMIM चीफ हार्ड लाइन रखने वाले अल्पसंख्यक लीडर हैं। बिहार में उनकी जीत का एक बड़ा कारण यही रहा। यही वजह है कि बिहार में राजग के मुकाबले केवल महागठबंधन के होने के बावजूद कुछ सीटों पर भारी तादाद में ओवैसी की पार्टी को वोट पड़े थे।