हस्तरेखा शास्त्र (Palmistry) में व्यक्ति की हथेली में मौजूद लकीरों, चिन्हों और उभार के बारे में बताया गया है। इसके मुताबिक हाथ में शनि पर्वत और इस पर मौजूद शनि रेखा बहुत खास मानी गई है। ज्योतिषी बताते हैं कि शनि पर्वत का उभार और इसकी प्रकृति जीवन को प्रभावित करती है। शनि पर्वत शुभ स्थिति में होने पर इसके शुभ परिणाम मिलते हैं। वहीं इसके खराब होने पर नुकसान और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां आती है।
हथेली (Palmistry) में शनि पर्वत के खटराब होने पर व्यक्ति अपने हाथों अपना नुकसान कर बैठता है। हाथ में शनि पर्वत मध्यमा उंगली के नीचे होता है। हस्तरेखा विज्ञान में बताया गया है कि शनि पर्वत पर चतुष्कोण बना हुआ हो तो यह व्यक्ति को बुरी संगत से दूर रखता है। ऐसा व्यक्ति समाज का भला चाहने वाला और उसके लिए काम करने वाला होता है। समाज की भलाई ही ऐसे लोगों का ध्येय होता है।
भावुक होते हैं ऐसी रेखा वाले लोग
वहीं हस्तरेखा विज्ञान (Palmistry) में बताया गया है कि हथेली में मौजूद मस्तिष्क रेखा अगर ज्यादा लंबी है तो ये शुभ नहीं है। मस्तिष्क रेखा की ऐसी स्थिति व्यक्ति के जीवन में मानसिक असंतोष के हालात पैदा करती है। कई बार यह स्थिति व्यक्ति को निराशा और तनाव की तरफ भी खींच ले जाती है। वहीं अगर इस स्थिति में कोई चतुष्कोण बन जाए तो व्यक्ति निराशा के दौर से बाहर आ जाता है।
अगर ये चतुष्कोण हृदय रेखा पर बनता है तो ऐसा व्यक्ति मनोबल के मामले में काफी सशक्त होता है। हृदय रेखा पर बना चतुष्कोण हृदय रोगों से बचाता है। हालांकि शुक्र पर्वत पर चतुष्कोण का बनना अच्छा नहीं माना जाता है। अगर शुक्र पर्वत पर चतुष्कोण बन रहा है तो यह जीवन में किसी मामले में जुर्माने अथवा दंड मिलने का संकेत देता है। (Palmistry)
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