देहरादून, 09 दिसंबर : शिक्षा का अधिकार एक सार्वभौमिक अधिकार है, जो दिव्यांग (International Day of Disabilities) लोगों सहित सभी को मिलना चाहिए। अगर दिव्यांगों को शिक्षा का अधिकार प्रदान किया जाए और सही तरीके से उनका पालन-पोषण किया जाए, तो अधिक से अधिक दिव्यांग समाज में भावी कर्णधार के रूप में उभर सकते हैं और समाज में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस (आईडीपीडी) के अवसर पर एसओएस चिल्ड्रेन्स विलेजेज ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित एक पैनल चर्चा में पैनलिस्टों ने यह बात कही।
एसओएस चिल्ड्रेन्स विलेजेज ऑफ इंडिया (International Day of Disabilities) भारत का सबसे बड़ा बाल कल्याण के लिए समर्पित स्वयं सेवी संस्था है जो स्व-कार्यान्वयन के आधार पर संचालित है। इस संस्था ने हाल ही में एक पैनल चर्चा आयोजित की जिसका विषय था : “कोविड19 के बाद की समावेशी, सुलभ और टिकाऊ दुनिया में दिव्यांग लोगों का नेतृत्व और भागीदारी।“ कोविड-19 प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए, एसओएस चिल्ड्रेन्स विलेजेज ऑफ इंडिया के फेसबुक पेज के माध्यम से यह पैनल चर्चा ऑनलाइन आयोजित की गई थी।
इस पैनल चर्चा में भाग लेने वाले मुख्य पैनलिस्टों में भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के विकलांगता विभाग की ब्रांड एंबेसडर सुश्री इरा सिंघल, राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान (एनआईईपीवीडी) (International Day of Disabilities) और पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय शारीरिक दिव्यांगजन संस्थान (पीडीयू-एनआईपीपीडी) के निदेशक डॉ हिमांगशु दास और भारत की स्पेशल एडुकेटर जयंती नारायण शामिल थे, जो वर्तमान में यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थम्प्टन, यूके में एक विजिटिंग प्रोफेसर के पद पर हैं।
भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के विकलांगता विभाग की ब्रांड एंबेसडर इरा सिंघल ने कहा, “लोग केवल अपनी अक्षमताओं को लेकर परेशान नहीं होते हैं, बल्कि वे अपनी क्षमताओं के सही इस्तेमाल न होने को लेकर भी परेशान रहते हैं, इसलिए हमें उनकी क्षमताओं पर ध्यान देने और यह याद रखने की आवश्यकता है कि विकलांगता (International Day of Disabilities) से ऐसे लोगों को परिभाषित नहीं किया जा सकता है।ʺ
सिंघल ने खुद ही अपना उदाहरण पेश किया है और साबित किया है कि दिव्यांग लोगों के लिए कुछ भी हासिल करना असंभव नहीं है। सुश्री सिंघल प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा में शीर्ष पर पहुंचने वाली भारत की पहली दिव्यांग हैं। वह महिला और बाल विकास मंत्रालय और नीति आयोग की ब्रांड एंबेसडर भी हैं और भारतीय चुनाव आयोग के लिए सुगम चुनाव के लिए राष्ट्रीय पैनल में हैं।