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नई दिल्ली। पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए भारतीय नेताओं, पत्रकारों और एक न्यायाधीश समेत बड़ी तादाद में हैं। पक्ष ने इसे बेहद गंभीर करार देते हुए संसद में जोर-शोर से उठा रहे हैं। हालांकि सरकार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि आरोपों में कोई ठोस आधार या सच्चाई नहीं है।

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अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्‍थानों द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में भारत समेत विभ‍िन्‍न देशों में इजरायली NSO ग्रुप के ‘पेगासस’ स्‍पाईवेयर के जरिए कई लोगों के सर्विलांस की बात कही गई।

रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत में कम से कम दो केन्द्रीय मंत्रियों, 40 से ज्यादा पत्रकारों, विपक्ष के तीन बड़े नेताओं और एक न्यायाधीश समेत बड़ी तादाद में कारोबारियों और सामाजिक अधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी की गई। लीक हुए डेटा में 50000 से अधिक फोन नंबरों की सूची है।

हालांकि सरकार ने इस रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया है। सरकार का कहना है कि भारत एक लचीला लोकतंत्र है और वह अपने सभी नागरिकों के निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के तौर पर सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

वहीँ कांग्रेस ने इसे ‘सरकारी सर्विलांस’ करार देते हुए कहा कि यह संवैधानिक लोकतंत्र के ढांचे और लोगों की निजता पर करारी चोट है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि ये बेहद गंभीर मसले है। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इसकी जांच होनी चाहिए।

आनंद शर्मा ने कहा कि विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, जजों और बड़े कारोबारी नेताओं के फोन टैप हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह चर्चा या बहस का विषय नहीं है। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। जानकारी के मुताबिक़ कांग्रेस समेत प्रमुख विपक्षी दलों ने इस मामले में संसद में आज मानसून सत्र के पहले दिन सरकार पर हमले शुरू कर दिए हैं। विपक्षी दलों ने संसद के दोनों सदनों में इस विषय पर चर्चा की मांग करते हुए स्थगन प्रस्ताव दिया है।

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