
नई दिल्ली ।। कौशल श्रॉफ नाम के एक खोजी पत्रकार ने अमेरिका, इंग्लैंड, सिंगापुर और केमैन आइलैंड से दस्तावेज़ जुटाकर डोभाल के बेटों के काले को सफेद करने और भारत के पैसे को बाहर भेजने के कारोबार का खुलासा कर दिया है।
रवीश कुमार’डी’ कंपनी का अर्थ अभी तक दाऊद इब्राहीम का गैंग ही होता था, लेकिन भारत में एक और ‘डी’ कंपनी आ गई है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल और उनके बेटों विवेक और शौर्य के कारनामों को उजागर करने वाली ‘कैरवां’ पत्रिका की रिपोर्ट में यही शीर्षक दिया गया है।
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साल दो साल पहले हिन्दी के चैनल दाऊद को भारत लाने के कई प्रोपेगैंडा प्रोग्राम करते थे, उनमें डोभाल को नायक की तरह पेश किया जाता था। किसने सोचा होगा कि जज लोया की मौत पर 27 रिपोर्ट छापने वाली ‘कैरवां’ पत्रिका 2019 की जनवरी में डोभाल को ‘डी’ कंपनी का तमगा दे देगी।
कौशल श्रॉफ नाम के एक खोजी पत्रकार ने अमेरिका, इंग्लैंड, सिंगापुर और केमैन आइलैंड से दस्तावेज़ जुटाकर डोभाल के बेटों के काले को सफेद करने और भारत के पैसे को बाहर भेजने के कारोबार का खुलासा कर दिया है। इस गोरखधंधे को हेज फंड और ऑफशोर कंपनियां कहते हैं।
नोटबंदी के ठीक 13 दिन बाद 21 नवंबर, 2016 को टैक्स चौरी के गिरोहों के अड्डे केमैन आइलैंड में विवेक डोभाल अपनी कंपनी का पंजीकरण कराते हैं। ‘कैरवां’ के एडिटर विनोद होज़े ने ट्वीट किया है कि नोटबंदी के बाद विदेशी निवेश के तौर पर सबसे अधिक पैसा भारत में केमैन आइलैंड से आया था। 2017 में केमैन आइलैंड से आने वाले निवेश में 2,226 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के बेटे विवेक डोभाल भारत के नागरिक नहीं हैं, इंग्लैंड के नागरिक हैं, और सिंगापुर में रहते हैं, और GNY ASIA Fund के निदेशक हैं। केमैन आइलैंड, टैक्स चोरों के गिरोह का अड्डा माना जाता है। कौशल श्रॉफ ने लिखा है कि विवेक डोभाल यहीं ‘हेज फंड’ का धंधा करते हैं। BJP नेता और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के बेटे शौर्य और विवेक का बिज़नेस एक दूसरे से जुड़ा हुआ है।
2011 में अजित डोभाल ने एक रिपोर्ट लिखी थी कि टैक्स चोरी के अड्डों पर कार्रवाई करनी चाहिए और उनके ही बेटे की कंपनी का नाम हेज फंड और ऐसी जगहों पर कंपनी बनाकर कारोबार करने के मामले में सामने आता है। विवेक डोभाल की कंपनी के निदेशक हैं डॉन डब्ल्यू ईबैंक्स और मोहम्मद अलताफ मुस्लियाम।
ई-बैंक्स का नाम पैराडाइज़ पैपर्स में आ चुका है। ऐसी कई फर्ज़ी कंपनियों के लाखों दस्तावेज़ जब लीक हुए थे, तो ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने भारत में पैराडाइज़ पेपर्स के नाम से छापा था। उसके पहले इसी तरह फर्ज़ी कंपनियां बनाकर निवेश के नाम पर पैसे को इधर से उधर करने का गोरखधंधा पनामा पेपर्स के नाम से छपा था। पैराडाइस पेपर्स और पनामा पेपर्स दोनों में ही वॉकर्स कॉरपोरेट लिमिटेड का नाम है, जो विवेक डोभाल की कंपनी की संरक्षक कंपनी है।
‘कैरवां’ ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि विवेक डोभाल की कंपनी में काम करने वाले कई अधिकारी शौर्य डोभाल की कंपनी में भी काम करते हैं। इसका मतलब यह हुआ है कि कोई बहुत बड़ा फाइनेंशियल नेटवर्क चल रहा है। इनकी कंपनी का नाता सऊदी अरब के शाही खानदान की कंपनी से भी है। भारत की गरीब जनता को हिन्दू-मुस्लिम परोसकर सऊदी मुसलमानों की मदद से धंधा हो रहा है। वाह! मोदी जी, वाह!
हिन्दी के अख़बार ऐसी रिपोर्ट सात जन्म में नहीं कर सकते। उनके यहां संपादक चुनावी और जातीय समीकरण का विश्लेषण लिखने के लिए होते हैं। पत्रकारिता के हर छात्र को ‘कैरवां’ की इस रिपोर्ट का विशेष अध्ययन करना चाहिए। देखना चाहिए कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और उनके बेटों का काला धन बनाने का कारखाना पकड़ने के लिए किन-किन दस्तावेज़ को जुटाया गया है। ऐसी ख़बरें किस सावधानी से लिखी जाती हैं। यह सब सीखने की बात है। हम जैसों के लिए भी। मैंने भी इस लेवल की एक भी रिपोर्ट नहीं की है।
साभार- NDTV