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जून के महीने में मोदी सरकार के लिए तीन अहम खबरें सामने आई हैं। तीनों खबरें साबित कर रही हैं कि देश की अर्थव्यवस्था सही रास्ते पर है।

खुदरा महंगाई के आंकड़े राहत देने वाले हैं। इसके अलावा देश के औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) में भी देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि दर्ज की गई है।

महंगाई के मोर्चे पर आम आदमी को बड़ी राहत मिली है. देश की खुदरा महंगाई दर सालाना आधार पर 25 महीने के निचले स्तर 4.25 फीसदी पर आ गई है।

अप्रैल महीने में खुदरा महंगाई दर 4.70 फीसदी थी. खुदरा महंगाई दर में निरंतर गिरावट यह साबित करती है कि इसे नियंत्रित करने के आरबीआई के प्रयास सफल रहे हैं।

खुदरा मुद्रास्फीति की दर से खाद्य और ईंधन उत्पादों की कीमतें बढ़ी हैं। मगर महंगाई दर अभी भी 25 महीने के निचले स्तर पर है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, मई 2023 में खुदरा महंगाई दर 4.25 फीसदी थी, जो अप्रैल 2021 के बाद सबसे कम है. अप्रैल 2021 में मामूली महंगाई दर 4.23 फीसदी थी।

अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर सरकार के लिए एक और अच्छी खबर औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल महीने में देश का औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी ग्रोथ रेट) बढ़ा है।

सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 4.2 फीसदी रही. इससे पहले मार्च महीने में यह वृद्धि दर महज 1.6 फीसदी थी.

2023 में भारतीय अर्थव्यवस्था ने एक बड़ा रिकॉर्ड बनाया है। देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 3.75 लाख करोड़ डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के कार्यालय ने सोमवार को इस बारे में ट्वीट किया। साल 2014 के बाद देश की जीडीपी करीब दो ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 2023 में 3.75 ट्रिलियन डॉलर हो गई है.

मौजूदा कीमतों के लिहाज से भारत की जीडीपी 3737 अरब डॉलर है। विकसित देशों की तुलना में भारत की जीडीपी अमेरिका (26,854 अरब डॉलर), चीन (19,374 अरब डॉलर), जापान (4,410 अरब डॉलर) और जर्मनी (4,309 अरब डॉलर) से कम है।

मौजूदा कीमतों पर भारत की जीडीपी ब्रिटेन (3,159 अरब डॉलर), फ्रांस (2,924 अरब डॉलर), कनाडा (2,089 अरब डॉलर), रूस (1,840 अरब डॉलर) और ऑस्ट्रेलिया (1,550 अरब डॉलर) से अधिक है।

खाद्यान्न और विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में गिरावट के कारण मई में थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति (WPI) शून्य से 3.48 प्रतिशत कम हो गई। यह 2015 के निचले स्तर पर है।

ईंधन और विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में गिरावट के कारण थोक मुद्रास्फीति निरंतर दूसरे महीने नकारात्मक रही। बीते वर्ष इसी महीने यानी मई 2022 में थोक महंगाई दर 16.63 फीसदी पर पहुंच गई थी. मई 2020 में थोक महंगाई दर (-) 3.48 फीसदी सबसे कम दर्ज की गई है.

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