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ख्वाजा साहब की दरगाह जो कि राजस्थान के अजमेर में। वाराणसी के ज्ञानवापी की तरह ही अब इस दरगाह के पूर्व में हिंदू मंदिर होने के दावे किए जा रहे हैं। यह दावा किसी और ने नहीं बल्कि दावा किया है महाराणा प्रताप सेना और हिंदू शक्ति दल संगठन ने। इसके साथ ही उन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग यानी कि एएसआई से सर्वे करवाने की भी मांग की है।

साथ ही सर्वे की मांग को लेकर महाराणा प्रताप सेना और हिंदू शक्ति दल संगठन ने सीएम शर्मा को लेटर लिखा है। साथ ही जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर जल्द सर्वे करवाने की भी मांग की गई है। महाराणा प्रताप सेना के अध्यक्ष राजवर्धन सिंह परमार ने कहा ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह पहले हिंदू मंदिर था, जिसे मुस्लिम आक्रांताओं ने ध्वस्त कर दिया था।

राजवर्धन ने कहा कि शिव मंदिर और अन्य मूर्तियों के स्थान पर दरगाह बनाई गई है। दरगाह के दरवाजों पर अब भी स्वास्तिक बने हुए हैं। स्वास्तिक हिंदू होने का प्रतीक है। उधर, इस मामले में दरगाह दीवान जैनुअल आबेदीन के बेटे सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने दरगाह पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज करवाया है। पुलिस थाना अधिकारी नरेंद्र जाखड़ ने बताया कि नसरुद्दीन की ओर से दी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंदू शक्ति दल संगठन ने दरगाह को मंदिर बताकर धार्मिक भावनाएं भड़काने के उद्देश्य से गलत टिप्पणी की गई है।

आपको यहां बता दें कि सोशल मीडिया पर भी इस बारे में टिप्पणी की गई है। इससे मुस्लिम समाज की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है। इसी के साथ उन्होंने कहा कि धार्मिक भावनाएं भड़काने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती ने पूरे जीवन में मानव सेवा की थी। लोगों को उन्होंने मोहब्बत और भाईचारे का संदेश दिया था। इसलिए लोग उन्हें ख्वाजा गरीब नवाज के नाम से जानते हैं। ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती एक महान संत थे। 

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