Rajasthan News: राज्य में हाल ही में हुए सात विधानसभा सीटों के उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी को करारा झटका लगा है। उपचुनाव से पहले कांग्रेस के पास चार सीटें (झुंझुनू, दौसा, रामगढ़ और देवली उनियारा) थीं, मगर अब उसके पास सिर्फ़ एक सीट (दौसा) बची है। भाजपा ने तीन सीटों (झुंझुनू, रामगढ़ और देवली उनियारा) पर कब्ज़ा कर लिया है और कुल मिलाकर सात में से पाँच सीटों पर जीत हासिल की है, जबकि कांग्रेस के पास सिर्फ़ एक सीट बची है। इस बीच, बीएपी ने डूंगरपुर जिले की चौरासी विधानसभा सीट को सफलतापूर्वक बरकरार रखा है। राजस्थान उपचुनाव में कांग्रेस को तीन कारणों के चलते बुरी हाल मिली है। आईये उन पर नजर डालते हैं-
कांग्रेस की शिक्स्त के तीन बड़े कारण
पहला कारण- कांग्रेस ने उपचुनाव में सुस्त तरीके से भाग लिया। कई कांग्रेस नेता चुनाव प्रचार में शामिल नहीं हुए। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सचिन पायलट, और गोविंद सिंह डोटासरा जैसे 40 नेताओं को स्टार प्रचारक बनाया गया, मगर उनमें से कई ने प्रचार में रुचि नहीं दिखाई। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह जैसे नेता केवल रामगढ़ सीट तक ही सीमित रहे। इस वजह से कांग्रेसी प्रत्याशी चुनावी माहौल नहीं बना सके।
दूसरा कारण- कांग्रेस नेताओं के बीच आपसी मतभेदों ने पार्टी को नुकसान पहुंचाया। प्रदेश के नेताओं ने एकजुटता का संदेश नहीं दिया और आगामी विधानसभा चुनाव के लिए कोई ठोस तैयारी नहीं की। जब पार्टी के नेता एकजुट नहीं हो सकते, तो किसी भी प्रत्याशी के लिए अकेले चुनाव जीतना मुश्किल हो जाता है, और यही उपचुनाव में देखने को मिला।
तीसरा कारण- पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट ने अधिकतर समय महाराष्ट्र के चुनाव में बिताया। सचिन पायलट ने दौसा, रामगढ़, और देवली उनियारा में कुछ सभाएं कीं, मगर मतदान से पहले के अधिकांश समय में वे महाराष्ट्र में व्यस्त रहे। गहलोत ने भी कुछ सभाएं कीं, मगर उनकी प्राथमिकता महाराष्ट्र के चुनाव रहे, जिससे कांग्रेस के प्रत्याशी मुकाबले में नहीं आ सके।
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