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कांग्रेस के नेता इंडिया के नाम को भारत करने की चर्चा के बीच केंद्र सरकार पर हमलावर हो गए हैं। मगर मालूम हो कि 2010 और 2012 में कांग्रेस के ही सांसद शांताराम नाइक ने दो प्राइवेट बिल पेश किए थे और इस बिल के तहत उन्होंने इंडिया शब्द को संविधान से पूरी तरीके से हटाने की मांग रखी थी।

जी20 की बैठक के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से दिए जाने वाले डिनर के कार्ड में प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ भारत का इस्तेमाल किए जाने को लेकर विवाद बढ़ गया है। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि मोदी सरकार पूरे देश में इंडिया के नाम पर रोक लगाने जा रही है और इसकी जगह पर भारत का इस्तेमाल किया जाएगा।

इस खबर के बाहर आने के बाद विपक्ष पूरी तरह से केंद्र सरकार पर हमलावर हो गया है। इंडिया का नाम भारत करने को लेकर भले ही आज देश में बहस तेज हो गई हो, मगर इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो पहले भी अलग अलग समय पर इस नाम को लेकर मांग उठती रही है।

कांग्रेस के नेता इंडिया का नाम भारत करने की सुगबुगाहट के बीच मोदी सरकार पर हमलावर हो गए, मगर उन्हें मालूम होगा कि 2010-2012 में कांग्रेस सांसद शांताराम नाइक ने इस मुद्दे पर दो प्राइवेट बिल पेश किए थे। इस बिल के जरिए उन्होंने संविधान से इंडिया शब्द पूरी तरह हटाने का प्रस्ताव भी रखा था।

सुप्रीम कोर्ट में भी हो चुकी है सुनवाई

यही नहीं साल 2015 में योगी आदित्य नाथ भी इस मुद्दे पर प्राइवेट बिल पेश कर चुके हैं। देश का नाम केवल भारत करने की मांग को लेकर कई बार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जा चुका है। सबसे पहला मामला मार्च 2016 में सामने आया। याचिका की सुनवाई करते हुए देश का नाम इंडिया की जगह से भारत करने की मांग को खारिज कर दिया गया था। उस वक्त तात्कालीन चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा कि भारत एक ही है। अगर आप भारत बोलना चाहते हैं तो वही बुलाइए, मगर कोई इंडिया कहना चाहता है तो इंडिया कहने दीजिए। 

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