Up kiran,Digital Desk : दोस्तों, राजस्थान के बाड़मेर में मंगलवार को जो हुआ, उसने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। मौका था 'दिशा' (DISHA - जिला विकास समन्वय और निगरानी समिति) की बैठक का। कलेक्ट्रेट के अंदर जैसे ही बैठक शुरू हुई, बाहर तक गर्मी महसूस होने लगी। जिले की कलेक्टर टीना डाबी, सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल और शिव विधानसभा के फायरब्रांड विधायक रविंद्र सिंह भाटी आमने-सामने थे।
माहौल इतना गरमा गया कि विधायक रविंद्र भाटी को भरी बैठक में कहना पड़ गया- "क्या हम यहां समोसे खाने के लिए इकट्ठा हुए हैं?" आइए, आपको आसान भाषा में बताते हैं कि आखिर 9 घंटे चली इस मैराथन बैठक में हुआ क्या।
क्यों उखड़े विधायक और सांसद?
सुबह 11 बजे बैठक शुरू हुई और रात 8 बजे तक चलती रही। दरअसल, यह मीटिंग 4 साल बाद हो रही थी। जनता के प्रतिनिधियों (सांसद-विधायक) को उम्मीद थी कि रुके हुए विकास कार्यों पर कोई ठोस चर्चा होगी। लेकिन जब अधिकारियों ने गोलमोल जवाब देने शुरू किए और कई तो नदारद मिले, तो सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल का पारा चढ़ गया। उन्होंने वहीं पर अधिकारियों की क्लास लगानी शुरू कर दी।
टीना डाबी और भाटी में तकरार
असली ड्रामा तब शुरू हुआ जब कुछ फैसलों को लेकर विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने आपत्ति जताई। उनका आरोप था कि मीटिंग सिर्फ दिखावे के लिए बुलाई गई है, जबकि फैसले पहले ही लिए जा चुके हैं या 'गुप्त' रूप से लिए जा रहे हैं।
रविंद्र भाटी गुस्से में टीना डाबी की ओर मुखातिब हुए और बोले, "आप मीटिंग क्यों करवाते हैं? अगर चर्चा अकेले में ही करनी थी या प्लान पहले से तय थे, तो हमारा समय खराब क्यों किया? हमें बुलाया ही क्यों?"
भाटी का गुस्सा सातवें आसमान पर था। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि "चार साल बाद बैठक हो रही है और नतीजा कुछ नहीं निकल रहा। तो क्या 4 साल बाद ये मीटिंग सिर्फ समोसा खाने के लिए रखी गई थी? सबके पास बहुत काम हैं, हमारा समय कीमती है।"
सांसद ने भी दिया साथ: "ऊपर का दबाव मत बताइये"
बैठक की अध्यक्षता कर रहे सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने भी भाटी का समर्थन किया। उन्होंने कलेक्टर और अधिकारियों को खरी-खोटी सुनाते हुए कहा कि आप लोग अपनी मर्जी से काम कर रहे हैं। सांसद ने साफ लहजे में कहा, "यह बहाना मत बनाइए कि आपके ऊपर मुख्यमंत्री या मंत्री का दबाव है। अगर आपको मनमानी करनी है, तो फिर जनपूनिधियों को बुलाने का नाटक क्यों?"
अफसरों के हाथ-पांव फूले
इस बैठक का वीडियो और खबरें अब सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही हैं। आमतौर पर शांत दिखने वाली बाड़मेर कलेक्टर टीना डाबी इस तीखी नोकझोंक के बीच बचाव की मुद्रा में दिखीं। यह घटना बताती है कि जब जनता के सवाल लेकर जनप्रतिनिधि अफसरों के सामने खड़े होते हैं, तो जवाबदेही तय करना कितना जरूरी हो जाता है। 4 साल के लम्बे अंतराल के बाद हुई इस बैठक में कामकाज से ज्यादा 'हंगामे' की गूंज सुनाई दी।
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