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Up Kiran, Digital Desk: क्या आपने कभी सोचा है कि एक छोटी सी भक्ति कैसे किसी की किस्मत पूरी तरह बदल सकती है? सोम प्रदोष व्रत की ऐसी ही एक प्रेरक कहानी है, जो दिखाती है कि कैसे भगवान शिव अपने भक्तों पर असीम कृपा बरसाते हैं. जब प्रदोष व्रत सोमवार को पड़ता है, तो इसे सोम प्रदोष कहते हैं, और इस दिन का महत्व कई गुना बढ़ जाता है क्योंकि सोमवार भगवान शिव को समर्पित है. आइए जानते हैं एक ब्राह्मणी और एक राजकुमार की दिल छू लेने वाली कहानी.

एक असहाय माँ और उसका बेटा

किसी नगर में एक ब्राह्मणी अपने बेटे के साथ रहती थी. दुर्भाग्य से उसके पति का निधन हो चुका था, और अब उनके पास जीवनयापन का कोई सहारा नहीं था. माँ और बेटा हर सुबह भीख मांगकर अपना पेट भरते थे. उनका जीवन बेहद कठिनाई से कट रहा था, पर उस ब्राह्मणी का भगवान शिव पर अटूट विश्वास था, और वह नियमित रूप से प्रदोष का व्रत करती थी.

घायल राजकुमार से मुलाकात

एक दिन, जब ब्राह्मणी अपने बेटे के साथ भीख मांगकर घर लौट रही थी, तो रास्ते में उसे एक घायल लड़का मिला. वह दर्द से कराह रहा था. ब्राह्मणी का दिल दया से भर उठा, और वह उस लड़के को अपने घर ले आई. उसने उसकी खूब सेवा की.

बाद में पता चला कि वह लड़का कोई साधारण बालक नहीं, बल्कि विदर्भ राज्य का राजकुमार था. उसके दुश्मनों ने उसके राज्य पर हमला कर दिया था, पिता को बंदी बना लिया था और वह किसी तरह अपनी जान बचाकर वहां से भाग निकला था. राजकुमार अब ब्राह्मणी के घर में ही उसके बेटे के साथ रहने लगा, जैसे वह उसी का परिवार हो.

गंधर्व कन्या का प्रेम और शिव का आदेश

एक दिन, अंशुमति नाम की एक गंधर्व कन्या ने उस राजकुमार को देखा और उसे उससे प्रेम हो गया. अगले दिन वह अपने माता-पिता के साथ राजकुमार से मिलने आई. राजकुमार की विनम्रता और तेज देखकर अंशुमति के माता-पिता भी बहुत खुश हुए.

उसी रात भगवान शंकर ने अंशुमति के माता-पिता को सपने में दर्शन दिए और आदेश दिया कि वे अपनी बेटी का विवाह उसी राजकुमार से करें. भगवान शिव का आदेश मानकर गंधर्वराज ने अपनी बेटी अंशुमति का विवाह धूमधाम से राजकुमार के साथ कर दिया.

प्रदोष व्रत का चमत्कार और राजकुमार की वापसी

इधर, ब्राह्मणी लगातार प्रदोष व्रत करती रही. उसके इन व्रतों के प्रभाव और गंधर्वराज की सेना की मदद से राजकुमार ने अपने दुश्मनों को खदेड़ दिया. उसने अपने पिता को मुक्त कराया और अपना खोया हुआ राज्य वापस पा लिया. राजकुमार अब खुशी-खुशी अपने राज्य में रहने लगा.

उसने ब्राह्मणी के बेटे को अपना प्रधानमंत्री बनाया और इस तरह ब्राह्मणी के भी अच्छे दिन आ गए. यह सब ब्राह्मणी के सच्चे मन से किए गए प्रदोष व्रत का ही फल था.

महादेव की कृपा

यह कथा बताती है कि भगवान महादेव अपने भक्तों पर कितनी कृपा बरसाते हैं. जैसे उन्होंने ब्राह्मणी और राजकुमार के दिन बदले, वैसे ही वे हर उस भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं जो सच्ची श्रद्धा और भक्ति से प्रदोष व्रत करता है. सोम प्रदोष व्रत करने से न सिर्फ कष्ट दूर होते हैं, बल्कि जीवन में सुख-शांति और समृद्धि भी आती है.