महाशिव रात्रि का आध्यात्मिक महत्व

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DESK। महाशिवरात्रि का पर्व भारतीय आध्यात्मिक उत्सवों की सूची में सबसे महत्वपूर्ण है। भारतीय आध्यात्मिक परंपरा में शिव को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। महाशिवरात्रि पर धरती के उत्तरी गोलार्ध की स्थिति ऐसी होती है कि मनुष्य के शरीर में ऊर्जा प्राकृतिक रूप से ऊपर की ओर बढ़ती है। इस दिन प्रकृति मनुष्य को अपने आध्यात्मिक चरम पर पहुंचने के लिए प्रेरित करती है। महाशिवरात्रि का पर्व रात भर चलता है। योगी और गृहस्थ दोनों शिवरात्रि को महत्वपूर्ण मानते हैं। शिव को आदि गुरु योगीनाथ के रूप में भी जाना जाता है। इसलिए शिवरात्रि को योगी रात भर जाग कर शिव की आराधना करते हुए योगिक क्रियाएं करते हैं।

पुराणों के अनुसार सत्य ही शिव हैं और शिव ही सुंदर है। इसीलिए भगवान शिव को सत्यम शिवम सुंदर कहा जाता है। शिवरात्रि भगवान शिव को प्रसन्न करने का ही महापर्व है। महाशिवरात्रि के दिन भक्त जप, तप और व्रत रखते हैं और इस दिन भगवान के शिवलिंग रूप के दर्शन करते हैं। धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि महाशिवरात्रि का व्रत करने वाले साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत को रखने से साधक के समस्त दुखों और पीड़ाओं का अंत हो जाता है और समस्त मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है। शिव की साधना से धन-धान्य, सुख-सौभाग्य,और समृद्धि बनी रहती है।

सनातन मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन प्रकृति मनुष्‍य को उसके आध्‍यात्मिक शिखर तक जाने में मदद करती है। ये भी कहा जाता है कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव मानवजाति के काफी निकट आ जाते हैं। मध्यरात्रि के समय ईश्वर मनुष्य के सबसे ज्यादा निकट होते हैं। यही कारण है कि लोग शिवरात्रि के दिन रातभर जागते हैं। इस तरह यह पर्व भक्त को नई शक्ति और चेतना प्रदान करता है। ज्योतिष के अनुसार इस दिन चंद्रमा-सूर्य के नजदीक होता है। इसलिए इस दिन शिव पूजा का विशेष विधान है। महाशिवरात्रि को जलरात्रि भी कहा जाता है।

इसके अतिरिक्त घर व परिवार में शांति व समृद्धि बनाए रखने के लिए भी महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की अराधना की जाती है। दरअसल सनातन मतावलंबी महाशिवरात्रि को शिव के विवाह के उत्सव के रूप में मनाते हैं। मान्यता है कि साधकों के लिए महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव कैलाश पर्वत के साथ एकात्म हो गए थे।

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