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राजस्थान में हर बार विधानसभा इलेक्शन में सरकार बनाने में युवाओं की भूमिका सबसे ज्यादा होती है। चाहे हम युवाओं के बेरोजगारी आंदोलन की बात करें या पेपर लीक से जुड़े हुए मामलों की या किसी अन्य मामले की, जिसमें युवा सरकार के विरूद्ध या तो आंदोलन करते हैं या फिर सरकार के किसी सही फैसले पर पुरजोर अपना समर्थन जताते हैं। पर जिस तरह से अशोक गहलोत सरकार के पांच साल के कार्यकाल में पेपर लीक हुए हैं वो कोई नई बात तो राजस्थान के लिए है नहीं। क्योंकि राजस्थान का युवा बीती कई सरकारों में पेपर लीक जैसी घटनाओं को झेल चुका है।

पर अशोक गहलोत सरकार में जिस प्रकार से निरंतर पेपर लीक हुआ है उसको लेकर राजस्थान के युवाओं में खासी नाराजगी है। आप किसी भी क्षेत्र में राजस्थान के अगर दौरा करते हैं और या अगर लोगों से बातचीत होती है तो युवाओं में अगर कोई खास आक्रोश देखा जाता है तो वो पेपर लीक से जुडे हुए मुद्दों पर देखा जाता है।

युवाओं का अधिकतर यह कहना होता है कि हम निरंतर पांच साल 10 साल भर्ती न आने की वजह से पहले तैयारी करते हैं। हमारी एक औसत उम्र देखी जाए तो 18 से 19 साल की उम्र में हम तैयारी शुरू करते हैं और औसत पांच साल छह साल तैयारी करने के बाद भर्तियां आती हैं जिसमें हमारी उम्र 24 से 25 साल हो जाती है।

मगर भर्ती आने के बाद जब परीक्षा होती है तो हमें जानकारी मिलती है कि पेपर लीक हो चुका है। इस बात पर उन्हें रोना आता है। इस बात पर वे सोचते हैं कि अब उनके भविष्य का क्या होगा जब उन्होंने सारे दूसरे तमाम काम छोडकर सरकारी पेपर पर ध्यान दिया। ये कोशिश की कि सरकारी पेपर निकालना ही उनका लक्ष्य होगा। उनका लक्ष्य होगा कि वो सरकारी नौकरी करें। पर इस प्रकार के पेपर लीक से उनका भविष्य धीरे धीरे गर्क की ओर निरंतर जाता रहा है।

कई बेरोजगारों के सपने हो सकते थे साकार

अशोक गहलोत सरकार ने पेपर लीक को रोकने के लिए सजा के तौर पर उम्रकैद साथ ही ₹10 करोड़ तक के जुर्माने का कानून एक एक्ट राजस्थान में बनाया है। पर ये एक्ट लाने में जितनी देरी हुई है, इस बात से भी वो परेशान है। अगर यह ऐसा एक्ट पहले आ जाता तो आज राजस्थान में कई युवाओं के कई बेरोजगारों के सपने साकार हो जाते। 

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