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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने आज देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ ग्रहण कर पदभार संभाल लिया। बुधवार सुबह राष्ट्रपति भवन में हुए कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने चंद्रचूड़ को प्रधान न्यायाधीश की शपथ दिलाई। जस्टिस चंद्रचूड़ सीजेआई यूयू ललित की जगह ली है। आपको बता दें के यूयू ललित आज सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इससे पहले छह नवंबर को सीजेआई यूयू ललित को औपचारिक सेरेमोनियल बेंच गठित कर विदाई दी गई थी।

पिता के बाद बेटा बना सीजेआई

आपको बता दें कि जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ वाईवी चंद्रचूड़ देश के 16वें मुख्य न्यायाधीश थे। वाईवी चंद्रचूड़ का कार्यकाल 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक करीब सात साल रहा। मालूम हो कि ये किसी सीजेआई का अब तक का सबसे लंबा कार्यकाल रहा था। पिता के रिटायर होने के 37 साल बाद अब उनके बेटे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सीजेआई पद की शपथ ली। यह सुप्रीम कोर्ट के भी इतिहास का पहला उदाहरण है कि पिता के बाद बेटा भी सीजेआई बनेगा। (Supreme Court)

विवाहेतर संबंधों पर पलट दिया पिता का ही फैसला

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कई अहम फैसले चर्चित लिए हैं। इसमें साल 2018 में विवाहेतर संबंधों (व्याभिचार कानून) को खारिज करने वाला फैसला शामिल है। बता दें कि साल 1985 में तत्कालीन सीजेआई वाईवी चंद्रचूड़ की पीठ ने सौमित्र विष्णु मामले में भारतीय दंड सहिंता की धारा 497 को कायम रखते हुए कहा था कि संबंध बनाने के लिए फुसलाने वाला पुरुष होता है न कि महिला। (Supreme Court)

वहीं, डीवाई चंद्रचूड ने 2018 के फैसले में 497 को खारिज करते हुए कहा था ‘व्याभिचार कानून महिलाओं का पक्षधर लगता है लेकिन असल में यह महिला विरोधी है। उन्होंने कहा कि शादीशुदा संबंध में पति-पत्नी दोनों की एक बराबर जिम्मेदारी है, फिर अकेली पत्नी पति से ज्यादा क्यों सहे? व्याभिचार पर दंडात्मक प्रावधान संविधान के तहत समानता के अधिकार का परोक्ष रूप से उल्लंघन है क्योंकि यह विवाहित पुरुष और विवाहित महिलाओं से अलग-अलग बर्ताव करता है।'(Supreme Court)

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