में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के बीच मेडिकल एक्सपर्ट्स स्वाइन फ्लू को लेकर भी आगाह कर रहे हैं। सबसे डराने वाली बात यह है कि विशेषज्ञ स्वाइन फ्लू को कोरोना के डेल्टा वैरिएंट जैसा खतरनाक बता रहे हैं। लखनऊ में 2 सप्ताह पहले स्वाइन फ्लू से पीड़ित KGMU के पूर्व प्रोफेसर को इलाज के लिए भर्ती किया गया था।
इस बीच दिल्ली और महाराष्ट्र समेत देश के तमाम राज्यों में स्वाइन फ्लू के मरीज मिलने का सिलसिला जारी हैं। अकेले मुंबई में 2 सप्ताह के भीतर 138 स्वाइन फ्लू के मरीज सामने आए हैं। ऐसे में यूपी में भी अलर्ट जारी किया गया हैं।
रेस्पिरेटरी ट्रेक इंफेक्शन पर स्वाइन फ्लू का खतरा
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल बोस्टन, अमेरिका के वैज्ञानिक प्रो.राम उपाध्याय ने बताया कि इस मौसम में फ्लू जैसी संक्रामक बीमारियां खतरनाक रुख ले सकती हैं। खास तौर पर स्वाइन फ्लू को लेकर बेहद सतर्क रहने की जरूरत हैं।
ऑक्सीजन लेवल की करें मॉनिटरिंग
प्रो.राम उपाध्याय ने बताया कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट से ज्यादा खतरनाक स्वाइन फ्लू हैं। ये डेल्टा वैरिएंट जैसा घातक हो सकता हैं। बुखार पीड़ित किसी मरीज में यदि तेजी से ऑक्सीजन लेवल डाउन हो रहा है तो स्वाइन फ्लू की जांच कराकर अस्पताल में भर्ती करना आवश्यक हैं। कही ऐसा न हो कि उसका उपचार भी कोरोना के जैसे होम आइसोलेशन मोड़ में रहकर किया जा रहा हो।
समझते है कि कोरोना और स्वाइन फ्लू में फर्क क्या है?
स्वाइन फ्लू एक प्रकार इन्फ्लूएंजा वायरस हैं। कोरोना से पहले इसे H1N1 पंडेमिक के नाम से जाना जाता हैं। इसके RNA में 2 टर्मिनल होते हैं। इन्हें H और N टर्मिनल नाम दिया गया। यह नोवेल इन्फ्लूएंजा वायरस हैं। पहली बार यह पंडेमिक के 2009 में सामने आया था। चौकानें वाली बात यह है कि इससे आज भी देश दुनिया में हर साल कई मौत होती हैं।
दोनों अलग प्रकार के वायरस
स्वाइन फ्लू संक्रमण स्वाइन यानी सुअर फैला हैं। वही कोरोना बैट यानी चमगादड़ से मानव में आया हैं। इसके अलावा दोनों के ट्रीटमेंट और लक्षण में भी फर्क हैं।स्वाइन फ्लू का इन्क्यूबेशन पीरियड 5 से 7 दिन का हैं। वही बीमारी 10 दस दिनों तक चपेट में ले सकती हैं। वही कोरोना में 14 दिन का आइसोलेशन पीरियड पहले से ही निर्धारित हैं।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
- हाई फीवर, जो पेरासिटामोल से भी न उतरे
- सीने में भारीपन और दबाव महसूस होना
- सांस लेने में तकलीफ
- कफ, गले में दर्द
- बदन दर्द
- सिर दर्द
- ठंड लगकर बुखार आना
- थकान, उल्टी होना
कोरोना के लक्षण
- फीवर
- कफ
- सांस लेने के दिक्कत,
- शरीर में थकावट
- मसल पैन
- लॉस ऑफ टेस्ट एंड स्मेल
- सीने में कंजेसन
- वॉमिटिंग
स्वाइन फ्लू से सतर्क रहने की जरूरत
- अमेरिका की CDC के आकंड़ों के मुताबिक इस वायरस के आउट ब्रेक के सालभर के भीतर 1.50 लाख से लेकर 5.75 लाख लोग की जान चली गई।
- स्वाइन फ्लू के सॉफ्ट टारगेट
- जिन्हें पहले से ही गंभीर रोग हैं
- डायबिटीज और अस्थमा के 65 साल की उम्र से ज्यादा के बुजुर्ग
- प्रेग्नेंट लेडी
- 5 साल से कम उम्र के बच्चे
- ऑर्गन ट्रांसप्लांट के मरीज
स्वाइन फ्लू का उपचार
- स्वाइन फ्लू की अभी तक वैक्सीन नही हैं। हालांकि इन्फ्लूएंजा की वैक्सीन है, पर ज्यादा कारगर नहीं मानी जा सकती है।
- होम आइसोलेशन के दौरान पूरी तरह से आराम करें
- पानी ज्यादा से ज्यादा पिए
- लिक्विड डाइट को प्रीफर करें
- सूप, जूस, वेजिटेबल जूस जरूर लें
- स्वाइन फ्लू के मरीज को एन्टी वायरल ट्रीटमेंट दिया जाता है। इन दवाइयों के जरिए मरीज का उपचार होता हैं। मगर डॉक्टरों की सलाह के बगैर यह दवाई न लें।
- टेमी फ्लू
- रेलेंज़ा
- रिवैप
- जो फ्लूज़ा
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