दुनिया में सबसे ठंडी इस जगह पर बढ़ रही गर्मी, खतरे में इंसानी ज़िन्दगी

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पूरी दुनिया इस समय वातावरण में हो रहे बदलाव से जूझ रही है, जिसके बावजूद इसको लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. आपको बता दें कि पृथ्वी का सबसे ठंडा महाद्वीप अंटार्कटिक तेजी से गर्म हो रहा है, यहां एक अध्ययन बेस पर अब तक का सर्वाधिक तापमान 18.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ। इसकी वजह जलवायु परिवर्तन व वैश्विक तापमान वृद्धि बताई जा रही है।

आपको बता दें कि जलवायु परिवर्तन के इस आशंका है कि यही हालात रहे तो अंटार्कटिक से इतनी बर्फ पिघलेगी जो समुद्र का जलस्तर अगले आठ दशक में तीन मीटर बढ़ा देगी। इससे कई द्वीप, देश व तटीय शहर डूब जाएंगे। वहीं जिनेवा में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की प्रवक्ता क्लेर नलिस ने बताया कि हालांकि अभी डब्ल्यूएमओ की पुष्टि बाकी है, लेकिन यह आंकड़ा सही लग रहा है।

गौरतलब है कि यह तापमान महाद्वीप के उत्तर में अर्जेंटीना के एस्परांजा बेस पर दर्ज हुआ। यहां इतनी गर्मी तो गर्मी के मौसम में भी नहीं होती, जब तापमान 15 डिग्री तक जाता है। क्लेर ने कहा कि अंटार्कटिक पर 50 वर्ष में औसत तापमान 3 डिग्री बढ़ा है। इससे पहले 2015 में तापमान 17.5 डिग्री और अंटार्कटिका के दूरस्थ क्षेत्र में 1982 में 19.8 डिग्री दर्ज हुआ था।

वैज्ञानिकों का दावा है कि बढ़ते वैश्विक तापमान से अंटार्कटिक पर औसतन 1.9 किमी मोटी परत के रूप में मौजूद बर्फ बिखरने को है। इसके पिघलने की गति 1979 से 2017 तक छह गुना बढ़ चुकी है। कई ग्लेशियरों में दरारें आ रही हैं।

बढ़ते जलस्तर का खतरा कितना वास्तविक है इसे ऐसे समझें कि साल 2100 तक हिंद महासागर में मौजूद मालदीव डूब जाएगा। आज वह भारत, श्रीलंका व ऑस्ट्रेलिया से जमीन खरीद अपने नागरिकों को ‘जलवायु शरणार्थी’ बनने से बचाने में जुटा है। इंडोनेशिया – जकार्ता, नाइजरिया – लागोस, अमेरिका – ह्यूस्टन, फ्लोरिडा व न्यू ओरलियंस, बांग्लादेश – ढाका, इटली – वेनिस, वर्जिनिया – वर्जिनिया बीच, थाइलैंड – बैंकॉक, नीदरलैंड – रोट्रडम और मिस्र – एलेक्सेंड्रिया शहर भी डूबने के कगार पर हैं।

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