जिस देश ने जीती ली थी कोरोना से पूरी तरह जंग अब उसी ने बढ़ायी दुनिया की मुश्किले, कहा वायरस के साथ जीना…

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ये बात भी सही हैं हर इंसान एक ही बात सुन-सुन कर परेशान हैं जहा देखो कोरोना की ही बात चल रही हैं लेकिन अब इसके साथ ही जीना होगा। अब से करीब चार सप्‍ताह पहले तक इजरायल महामारी से जीत की खुशी मना रहा था। ये खुशी इस बात की भी थी कि इजरायल सरकार ने महामारी की रोकथाक के लिए जो कदम उठाए और जो टीकाकरण चलाया उसकी वजह से कोरोना के मामलों में जबरदस्‍त गिरावट देखने को मिली थी। इतना ही नहीं, इजरायल सरकार ने लोगों को मास्‍क लगाने से भी छूट दे दी थी।

इस तरह की घोषणा करने वाला इजरायल विश्‍व का पहला देश बना था, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। डेल्‍टा वेरिएंट के चलते बढ़ते मामलों ने यहां की सरकार की चिंताएं बढ़ा दी है। यही वजह है कि सरकार ने एक बार फिर से लोगों के लिए घर से बाहर निकलते समय मास्‍क लगाने को अनिवार्य कर दिया है। आदेश के मुताबिक, क्‍वारंटीन के समय और चाहरदिवारी में भी अब मास्‍क लगाना अनिवार्य होगा।

बढ़ते मामलों ने यहां के पीएम नफ्ताली बेनेट को इस बारे में फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है। फिलहाल उन्‍होंने दोबारा से प्रतिबंधों को लगाने का एलान किया है। अब सरकार चाह रही है कि इजरायल के लोग इस वायरस के साथ जीना सीख लें। रायटर का कहना है कि इजरायल देश में चौथे लॉकडाउन को कतई तैयार नहीं है।

ऐसा इसलिए भी है, क्‍योंकि इस कदम से देश की आर्थिक हालत खराब हो सकती है। इसलिए उसने बढ़ते मामलों की रोकथाम के लिए कुछ प्रतिबंध जरूर लगाए हैं। आपको बता दें कि इजरायल में अधिकतर लोगों को कोरोना वैक्‍सीन की खुराक दे दी गई है। संक्रमण के बढ़ने पर अब तक कुछ ही गंभीर मामले सामने आए हैं।

इजरायली पीएम बेनेट ने पिछले सप्‍ताह ही कहा था कि महामारी और संक्रमण की रोकथाम के लिए कुछ रणनीति अपनाई जाएंगी। हालांकि, ये रणनीति देश की आर्थिक स्थिति को देखते हुए होंगी और इसमें आपसी सामंजस्‍य बनाया जाएगा।

ये इस बात पर भी निर्भर करेगा कि अस्‍पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्‍या कितनी है। फिलहाल देश में गंभीर मरीजों की संख्‍या 45 है। संक्रमण को देखते हुए देश में वैक्‍सीनेशन प्रोग्राम, रेपिड टेस्टिंग और मास्‍क लगाने के लिए फिर से जागरुकता अभियान चलाया जाएगा।

गौरतलब है कि ब्रिटेन ने लॉकडाउन से बाहर निकलने और प्रतिबंधों को हटाने की तरफ कदम बढ़ाने का एलान किया था। हालांकि वहां पर बढ़ते डेल्‍टा वैरिएंट के मामलों की वजह से सरकार ने इस योजना को आगे के लिए टाल दिया था। ये अपने आप में काफी दिलचस्‍प इसलिए भी है, क्‍योंकि एक तरफ जहां इजरायल बढ़ते मामलों के चलते दोबारा प्रतिबंध लगा रहा है। वहीं, ब्रिटेन इनको खत्‍म करने की तरफ आगे बढ़ रहा है, जबकि दोनों में ही डेल्‍टा वेरिएंट के मामले सामने आ रहे हैं।

इस बीच इजरायल के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के प्रमुख ने कहा है कि ये मुमकिन है कि इसके मामले अधिक गंभीर न हों, लेकिन इसके बावजूद भी हमें इस तरह गलती करने से हमें डरना चाहिए। हालांकि, कुछ दूसरे वैज्ञानिक उनकी इस बात का समर्थन भी कर रहे हैं। स्‍कूल आूफ पब्लिक हेल्‍थ के डायरेक्‍टर नदाव देविदोविच का कहना है कि उन्‍होंने कहा है कि वो इस संबंध में इजरायल की एप्रोच का समर्थन करते हैं।

आपको यहां पर ये भी बता दें कि इजरायल की स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं से जुड़ी एजेंसियों के ज्‍यादातर प्रमुखों का यही कहना है कि फिलहाल डेल्‍टा वेरिएंट के सामने आने वाले अधिक गंभीर नहीं है। हालांकि, इन लेागों का ये भी कहना है कि इजरायल में सामने आने वाले नए मामलों में अधिकतर के पीछे डेल्‍टा वेरिएंट ही है। इसके बाद भी ये मानते हैं कि यदि इसके मामले अधिक गंभीर बनते हैं तब दोबारा स्थिति को देखते हुए इस पर विचार किया जाएगा और कदम उठाया जाएगा।

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