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लखनऊ। आपने यह तो सुना होगा कि पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए बेटा टीचर या नेक इंसान हो गया। इसके उलट ये ऐसे पिता-पुत्र की दास्तान है। जिन्हें शिक्षा माफिया के तौर पर जाना जाता है। पहले एटा जिले के जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में लिपिक के पद कार्यरत हरिश्चंद्र दुबे ने अपने कार्यकाल के दौरान जिले में फर्जी डिग्री धारकों को मोटी रकम लेकर विद्यालयों में अध्यापकों के रूप में नियुक्ति कराई। फिर अब उनका बेटा इसी राह पर चल पड़ा है।

etah harish chandra dubey

एटा जिले के शिक्षा विभाग में पिता-पुत्र का आतंक इस कदर छाया है कि कोई अधिकारी या कर्मचारी उनके खिलाफ मुंह खोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाता है। ऐसा नहीं कि इनके खिलाफ शिकायतें नहीं हुई पर उन शिकायतों का पिता-पुत्र की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा।

ऐसे में लाख टके का सवाल उठता है कि क्या शिक्षा महकमे के बड़े बड़े अफसर पिता-पुत्र के आगे इतने बेबस आखिर क्यों हैं। यह विवेचना का भी विषय है।

पुत्र अनूप दुबे की नियुक्ति अवैध

दरअसल अनूप दुबे पुत्र हरिश्चन्द्र दुबे जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय एटा में लिपिक के पद पर कार्यरत हैं। इनकी नियुक्ति मृतक आश्रित कोटे में इनकी मां आदर्श दुबे के निधन के बाद हुई थी। स्व आदर्श दुबे राजकीय बालिका इंटर कालेज एटा में सहायक अध्यापिक के पद पर कार्यरत थीं और अनूप दुबे के पिता हरिश्चन्द्र दुबे जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय एटा में कार्यरत थे।

नियमावली में स्पष्ट प्राविधान है कि यदि माता पिता दोनों सरकारी सेवा में हों तो ऐसे में एक की मृत्यु हो जाने पर नियमानुसार मृतक आश्रित के रूप में नियुक्ति नहीं हो सकती।

मृतक आश्रित कोटे में नहीं हो सकती नियुक्ति

अनूप दुबे की नियुक्ति वर्ष 1991 में मृतक आश्रित कोटे के तहत हुई थीं उनकी मां का निधन वर्ष 1981-82 में हुआ था। नियमावली के मुताबिक मृतक आश्रित कोटे के तहत पांच वर्ष के अंदर नियुक्ति हो जानी चाहिए। विशेष परिस्थितियों में शासन की मंजूरी के बाद ही मृतक आश्रित कोटे के तहत नियुक्ति की जा सकती है। पर अनूप दुबे की नियुक्ति वर्ष 1991 में हुई। जिसमें शासन से भी मंजूरी नहीं ली गई।

अनूप दुबे पर भ्रष्टाचार का आरोप

अनूप दुबे पर वर्षों से भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। पिछले कई वर्षों से अनूप दुबे बोर्ड परीक्षा का कार्य देख रहे हैं। उन पर नकल माफिया से सांठगांठ कर करोड़ो रूपये की काली कमाई का आरोप लगता रहा है। पर उनके रसूख की वजह से उनके खिलाफ कार्रवाई की हिम्मत कोई जुटा नहीं पाता है।

अनूप दुबे की अकूत कमाई का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनका बेटा यूक्रेन में मेडिकल की पढाई कर रहा है। जहां प्रवेश से लेकर पढाई का खर्चा लाखों रूपये में आता है।

पिता हरिश्चन्द्र दुबे कई विद्यालयों की प्रबंध समिति में

अनूप दुबे के पिता हरिश्चन्द्र दुबे जिले में पहले ही शिक्षा माफिया के रूप में कुख्यात हैं। यह कई विद्यालयों में प्रबंधक/अध्यक्ष/उपाध्यक्ष के रूप में संलिप्त हैं। आरोप है कि हरिश्चन्द्र दुबे ने अपने कार्यकाल में ही मृतक आश्रित के रूप में अनेक फर्जी डिग्री धारकों को मोटी रकम लेकर विद्यालयों में अध्यापक के रूप में नियुक्ति कराई।

फर्जीवाड़े के ये इश्तेहार, जानें कुछ ऐसे मामले

-हरिश्चन्द्र दुबे के साले सुधीर दुबे ने फर्जी शैक्षणिक प्रमाण पत्र पर धिरामई इंटर कालेज एटा में नियुक्ति पाई। संयुक्त निदेश की जांच में यह नियुक्ति फर्जी पायी गई। फिर भी सुधीर दुबे नौकरी कर रहा है।

-शिव कुमार दुबे मरतौली इंटर कालेज में इंजार्च प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। इनके भी शैक्षणिक प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए हैं।

-हरीश दुबे के सगे भतीजे अनुपम दुबे ने फर्जी अभिलेखों के आधार पर सर्वोदय इंटर कालेज एटा में सहायक अध्यापक के रूप में नियुक्ति पाई है।

जिला विद्यालय निरीक्षक ने कहा

इन फर्जीवाड़ों को लेकर जब जिला विद्यालय निरीक्षक एटा मिथिलेश कुमार से बात की गयी और उनसे जानने की कोशिश की गयी तो उन्होंने कहा कि मेरा नंबर किसने दिया। फर्जी नियुक्तियों को लेकर जिला विद्यालय निरीक्षक का कहना था कि ये तो पुरे प्रदेश का मामला है। जाँच पूरे प्रदेश में हो रही है। फर्जीवाड़ा तो हर जिले में है।

…क्रमशः 

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