हिन्दू पंचांग के कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान शालीग्राम और तुलसी विवाह (Tulsi Vivah Puja Vidhi and Ingredients) के रूप में मनाया जाता है। इसे देवुत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग घरों में तुलसी जी और शालिग्राम का विवाह कराते हैं और उनकी पूजा करते हैं। इस दिन चातुर्मास का भी समापन होता है और मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व है। इस साल तुलसी विवाह 5 नवंबर को कराया जाएगा। ज्योतिषी बताते हैं कि माता तुलसी को हरि की पटरानी कहा जाता है। (Tulsi Vivah Puja Vidhi and Ingredients)
धार्मिक मान्यता है कि जो लोग इस पूरे विधि विधान से भगवान विष्णु के अवतार शालीग्राम जी और माता तुलसी का विवाह कराते हैं उसके वैवाहिक जीवन में सदैव खुशहाली बनी रहती है। तुलसी विवाह में कई तरह की सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है। आइए जानते हैं तुलसी विवाह में प्रयोग की जाने वाली सामग्री।
पूजा चौकी, शालीग्राम जी, तुलसी का पौधा, गन्ना, मूली, कलश, नारियल, कपूर
आंवला, बेर, मौसमी फल, शकरकंद, सिंघाड़ा, सीताफल, गंगाजल, अमरूद
दीपक, धूप, फूल, चंदन, रोली, मौली, सिंदूर, लाल चुनरी, हल्दी, वस्त्र
सुहाग सामान- बिंदी, चूड़ी, मेहंदी, साड़ी, बिछिया आदि
भोर, भाजी, आंवला। उठो देव म्हारा सांवरा. तुलसी विवाह वाले दिन श्रीहरि विष्णु को जाग्रत करने और उनसे संसार का कार्यभार संभालने के लिए ये मंत्र बोलकर उनसे प्रार्थना की जाती है।
‘महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते’
तुलसी विवाह को शादी में आ रही बाधाएं दूर करने और दांपत्य जीवन में मिठास लाने वाला भी माना जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि अगर किसी के विवाह में मुश्किल आ रही है या फिर सगाई होने के बाद भी शादी टूट जा रही तो तुलसी विवाह के दिन तुलसी और शालिग्राम जी को साक्षी मानकर किसी जरूरतमंद व्यक्ति की कन्या के शादी में सामर्थ्य अनुसार दान करने का संकल्प लें। ये दान गुप्त रहना चाहिए। कहते हैं ऐसा करने से विष्णु जी बेहद प्रसन्न होते हैं जल्द विवाह के योग बनने लगते हैं। (Tulsi Vivah Puja Vidhi and Ingredients)
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