नई दिल्ली॥ हिंदुस्तान और चीन के बीच लद्दाख में तनाव निरंतर बना हुआ है। गलवान में हुई हिंसक झड़प के बाद इस बात की आशंका बनी हुई है कि आने वाले वक्त में हिंदुस्तान और और चीन के बीच कोई सैन्य संघर्ष भी हो सकता है।
वैसे तो इंडियन आर्मी को हिन्द महासागर की महाशक्ति बोला जाता है, किंतु बदलते हालात के कारण इंडियन आर्मी की योजना है कि अपनी उपस्थिति हिंद महासागर के साथ ही दक्षिणी चीन सागर में भी दर्ज करा दी जाए। दक्षिणी चीन सागर में अपनी शक्ति के विस्तार के लिए हिंदुस्तानीय नौसेना ने अपनी सबमरीन फ्लीट को बढ़ाने का फैसला किया है।
खबर के मुताबिक, इंडियन आर्मी की ताकत में 24 नई सबमरीन जुड़ने वाली है। इन 24 सबमरीन में से 6 कन्वेंशनल सबमरीन के निर्माण के लिए हिंदुस्तान के स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप मॉडल के तहत विदेशी एवं हिंदुस्तानी कंपनियों के जॉइंट वेंचर की प्रक्रिया अक्टूबर से शुरू होगी।
इसके लिए request for proposal से संबंधित सभी औपचारिकताएं पूर्ण कर ली गई हैं और अक्टूबर से कंपनियों को निर्माण के लिए आमंत्रित किया जाएगा। इसके लिए दो हिंदुस्तानीय शिपयार्ड के साथ पांच विदेशी कंपनियों का चयन किया गया है। हिंदुस्तानीय कम्पनियों में L&T group तथा सरकारी फर्म Mazagaon Docks Limited (MDL) के अलावा विदेशी कम्पनियों में ThyssenKrupp Marine Systems (Germany), Navantia (Spain) और Naval Group (France) का नाम शामिल है।
अगर इंडियन आर्मी मजबूत होती है तो ये चीन के सामरिक हितों के लिए बड़ा झटका होगा। चीन की नौसेना की सबसे बड़ी चिंता यही है कि हिंदुस्तानीय नौसेना स्ट्रेट ऑफ मलक्का के नजदीक अधिक मजबूत ना हो तथा दक्षिणी चीन सागर में सक्रिय भागीदारी ना दिखाए।
लेकिन गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद इंडियन आर्मी ने दक्षिणी चीन सागर में अपने युद्धक जहाज भेजकर चीन को सख्त संदेश दिया था। अब हिंदुस्तान का अपनी सबमरीन ताकत को बढ़ाना बताता है कि आने वाले समय में हिंदुस्तान की दक्षिणी चीन सागर में सक्रियता और ज्यादा बढ़ेगी।