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लखनऊ। प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा है कि कोविड-19 के मरीजों के उपचार के लिए राजकीय मेडिकल कालेजों में समर्पित एल-2 व एल-3 कोविड केयर सेन्टर स्थापित किये गये हैं। उन्होंने कहा कि नान कोविड मरीजों के लिए मेडिकल कालेजों में जिन मरीजों को आकस्मिकता/इमर्जेन्सी होती है, उनमें कोविड-19 की रिपोर्ट की प्रतीक्षा किए बिना ही इलाज प्रारम्भ करने की अपरिहार्यता रहती है।

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ऐसे मरीजों को पॉजिटिव मानते हुए संक्रमण से पूरे बचाव की प्रक्रिया के साथ इलाज किया जाये। उन्होंने बताया कि नान कोविड मरीज जिनमें इमर्जेन्सी नहीं होती है, उनके स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं के निदान के लिए टेलीमेडिसिन ओपीडी के माध्यम से स्वास्थ्य सम्बन्धी परामर्श प्रदान किया जाये।

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चिकित्सा शिक्षा मंत्री द्वारा हाल ही में चिकित्सालयों की इमर्जेन्सी व मेडिकल कालेजों के भ्रमण में पाया गया कि कई मरीज जो इमर्जेन्सी की श्रेणी में नहीं आते हैं और उनका उपचार स्थगित किया जा रहा है, जैसे कि हार्निया, अपेन्डिक्स, गालब्लेडर, कैटरैक्ट आदि। उन्होंने कहा कि समय तक उन्हें लम्बित रखना ठीक नहीं है, अतः उन्हें पूरे बचाव के साथ सेमी-इमर्जेन्सी के रूप में चिकित्सीय परामर्श एवं उपचार दिया जाये।

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खन्ना ने बताया कि टेलीमेडिसिन ओपीडी के माध्यम से चुने गये ऐसे मरीजों जिनका चिकित्सीय परीक्षण व सामान्य (पेशाब, रक्त व एक्सरे आदि) जॉंच आवश्यक है, उनको एक रजिस्ट्रेशन नंबर देते हुए चिकित्सालय की सेमी-इमर्जेन्सी सर्विसेज में बुलाया जाएगा। क्योंकि हर मरीज व तीमारदार में कोरोना इन्फेक्शन की सम्भावना रहती है, जिसकी पुष्टि न होने से स्वयं मरीज एवं तीमारदार के साथ-साथ चिकित्सालय में उपस्थित अन्य मरीज व चिकित्सीय दल में भी संक्रमण फैलने का खतरा रहता है।

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ऐसे मरीज जिन्हें सेमी-इमर्जेन्सी में बुलाया जा रहा है, यदि वे अपनी कोरोना की जॉंच कराकर निगेटिव रिपोर्ट के साथ आते हैं तो संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है तथा उनके परीक्षण, सामान्य जॉंच व आवश्यकतानुसार कोई प्रोसीजर अथवा ऑपरेशन करने की स्थिति में सुगमता से उपचार करना सम्भव हो सकता है। उन्होंने कहा कि सेमी इमर्जेसी सर्विसेज प्रारम्भ होने से नान कोविड मरीजों को अपना उपचार कराने में काफी सुविधा हो जाएगी।

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