यूनाइटेड अरब अमीरात (UAE) की सबसे बड़ी इस्लामिक संस्था United Arab Emirates (UAE) फतवा कॉउंसिल ने कहा है कि कोरोना वायरस की वैक्सीन में अगर सुअर से बनने वाला जिलेटिन (Gelatin) मौजूद भी हो, तो भी मुस्लिम उसका इस्तेमाल कर सकते हैं। ज्यादातर वैक्सीन्स में पोर्क जिलेटिन होता है, इस वजह से यह कहा जा रहा था कि तमाम मुस्लिम्स धार्मिक मान्यताओं के कारण कोरोना की वैक्सीन से दूरी बना सकते हैं। बता दें कि इस्लाम में ‘सुअर के मांस’ से बने उत्पादों को उपभोग में लाना हराम माना गया है।
एक News agency की रिपोर्ट के अनुसार, UAE काउंसिल के चेयरमैन ‘शेख अब्दुल्ला बिन बय्या’ ने कहा है, “अगर कोई और विकल्प नहीं है तो कोरोना की वैक्सीन को लेकर इस्लाम में सुअर को लेकर लगाये गये प्रतिबंध लागू नहीं होंगे। उनका कहना था कि मानव शरीर को सुरक्षित करने के लिए इसकी सख्त जरूरत है।
Good Governance Day: 9 करोड़ किसान परिवारों के बैंक खातों में 18 हजार करोड़ रूपये की धनराशि हस्तांतरित
काउंसिल ने कहा है कि वैक्सीन के मामले में पोर्क जिलेटिन (Pork Gelatin) मेडिसिन की श्रेणी में आता है, ना कि खाने की श्रेणी में। कोरोनावायरस पूरे समाज के लिए ही बहुत बड़ा खतरा बनकर आया है, ऐसे में वैक्सीन बेहद जरूरी है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- किसानों के मुद्दे पर दोगली नीति लेकर चल रहे ये लोग
आपको बता दें कि कई मुस्लिम देशों में कोरोना वैक्सीन को लेकर ऐसी चिंतायें जाहिर की जा रही हैं। अक्टूबर माह में इंडोनेशिया के कुछ डिप्लोमैट और ‘मुस्लिम’ स्कॉलर्स चीन में एक प्लेन से अचानक उतर गये। ‘मुस्लिम’ स्कॉलर्स की चिंता थी कि ‘इस्लामिक’ कानून के तहत कोरोना वैक्सीन लगवाने की इजाजत नहीं है।
हॉस्पिटल में एडमिट सुपरस्टार Rajinikanth के स्वास्थ्य को लेकर प्रबंधन ने कही ये बात
‘पोर्क’ से मिलने वाला जिलेटिन (Gelatin) का प्रयोग वैक्सीन को स्टोरेज और एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के दौरान सुरक्षित और प्रभावी रखने के लिए किया जाता है। सऊदी अरब और मलेशिया की एजे फार्मा बिना जिलेटिन (Gelatin) वाली वैक्सीन पर काम भी कर रही हैं।
फाइजर, मॉडर्ना और एस्ट्राजेनेका ने कहा है कि उनकी कोरोना वैक्सीन (Corona vaccine) में पोर्क उत्पादों का इस्तेमाल नहीं किया गया है। हालांकि, वैक्सीन की सीमित उपलब्धता के चलते कई मुस्लिम देश जिलेटिन वाली वैक्सीन का इस्तेमाल करेंगे।
वहीँ, दुनिया की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया को लेकर चिंता जाहिर की जा रही है। वर्ष 2018 में, इंडोनेशिया उलेमा काउंसिल ने कहा था कि चेचक और रूबेला वैक्सीन में जिलेटिन मौजूद है इसलिए ये हराम हैं। धार्मिक नेताओं ने इसके बाद अभिभावकों से बच्चों को वैक्सीन ना लगाने की अपील करनी शुरू कर दी थी।
हालांकि, काउंसिल ने बाद में वैक्सीन लगवाने की इजाजत दे दी थी। लेकिन टैबू के चलते वैक्सीनेशन रेट काफी कम रही। इंडोनेशिया की सरकार ने कहा है कि कोरोना वैक्सीन की खरीदारी में वह मुस्लिम संगठनों को भी शामिल करेगी ताकि वैक्सीनेशन की प्रक्रिया में बाद में कोई समस्या ना हो।
यहूदियों में भी ‘पोर्क’ खाने पर प्रतिबंध है लेकिन ये केवल प्राकृतिक रूप से सेवन को लेकर है। कुछ संगठनों का कहना है कि अगर आपके शरीर में इसे इंजेक्ट किया जाता है तो फिर इसमें कोई समस्या नहीं है, खासकर जब ये कोरोना जैसी महामारी के नियंत्रण को लेकर है।
Indian Army Recruitment: फर्जी निवास प्रमाण पत्र बनाने वाले लेखपाल निलंबित अन्य कर्मचारियों पर गाज
--Advertisement--