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लखनऊ। यूं तो यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड पर उत्तर प्रदेश में प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर कार्रवाई की जिम्मेदारी है। पर क्या बोर्ड अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है? बरेली के एक स्लाटर हाउस (मारिया फ्रोजन एग्रो फूड प्रोडक्टस प्रा. लि.) पर कार्रवाई में नरमी का ताजा मामला तो कुछ और ही बता रहा है। स्लाटर हाउस में मानकों से ज्यादा पशुओं की कटान उजागर हुई है। कार्रवाई के सिलसिले में बोर्ड अध्यक्ष मनोज सिंह ने अगस्त 2023 में पत्र भी लिखा। पर कार्रवाई में 8 महीने लग गए। जुर्माना लगाया गया महज 40 दिन का। साफ है कि भले ही योगी सरकार भ्रष्टाचार पर कड़े प्रहार कर रही है। पर पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड पर इसका कोई असर नहीं है। ताजा मामला बोर्ड की कार्यप्रणाली में भ्रष्टाचार के दीमक लगने के संकेत दे रहा है, जो कि विवेचना का विषय है।

अफसरों को दिया गिफ्ट, एक डीएम की कम्पनी से भी लेन देन उजागर

दरअसल, मारिया फ्रोजन एग्रो फूड प्रोडक्ट प्रा लि द्वारा 300 पशुओं की तय कैपेसिटी से ज्यादा कटान की जा रही थी। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के जांच अफसरों ने कम्पनी की चोरी पकड़ी। बड़े अफसरों से लेकर जिला स्तर के छोटे अफसरों को गिफ्ट देने का डिजिटल रिकॉर्ड भी रिकवर किया। आपको जानकर हैरानी होगी कि एक ऐसे अफसर की कम्पनी के साथ पशु वधशाला चलाने वाली कम्पनी का लेन देन उजागर हुआ है, जो बरेली के डीएम भी रहें। इन सभी बिन्दुओं पर आयकर विभाग ने मारिया फ्रोजन के निदेशक शकील कुरैशी का स्टेटमेंट भी रिकॉर्ड किया है और इसी स्टेटमेंट के आधार पर कार्रवाई के लिए यूपी पॉल्यूशन बोर्ड के अध्यक्ष मनोज सिंह ने अगस्त 2023 में पत्र लिखा।


हाईकोर्ट में दाखिल रिट और आयकर विभाग के स्टेटमेंट में अलग—अलग बात

अगस्त 2023 में लिखे गए पत्र में कहा गया है कि आप द्वारा आयकर विभाग के अधिकारियों के समक्ष अपना स्टेटमेंट दर्ज कराया गया है कि यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा निर्धारित क्षमता से अधिक पशु कटान स्लाटर हाउस द्वारा किया जा रहा था। दूसरी तरफ हाईकोर्ट, इलाहाबाद में दाखिल एक याचिका में आप द्वारा अंडरटेकिंग दी गई है कि मेरी इकाई द्वारा मात्र 300 पशु कटान की जा रही है, जिसकी यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से अनुमति प्राप्त है। इसको लेकर कुरैशी से पूछा गया था कि हाईकोर्ट की रिट और आयकर विभाग को दिए गए स्टेटमेंट में से आपकी कौन सी बात सही है?

स्लाटर हाउस पर कार्रवाई में नरमी पर उठ रहे सवाल

बहरहाल, यह पत्र लिखे जाने के 8 महीने बाद जुलाई 2024 में पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा स्लाटर हाउस पर कार्रवाई की गई। जांच में यह भी बिल्कुल स्पष्ट पाया गया कि मानक के विपरीत स्लाटर हाउस द्वारा पशुओं की अवैध कटान की जा रही थी, प्रदूषण फैलाया जा रहा था। एक तरफ महीनों से जांच की फाइल दौड़ रही थी, दूसरी तरफ स्लाटर हाउस पर 4 अप्रैल से 15 मई तक कुल 40 दिन के लिए पर्यावरणीय क्षति का जुर्माना लगाया गया, जबकि स्लाटर हाउस करीबन साल भर से प्रदूषण फैला रहा था। विभाग को इस बाबत जानकारी भी थी। ऐसे में स्लाटर हाउस पर कार्रवाई में नरमी पर सवाल उठ रहे हैं।

 

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