लखनऊ. उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के चेयरमैन अनिल यादव को लेकर भले ही बीजेपी सरकार जांच का माहौल बना रही है, लेकिन कोर्ट ने योगी सरकार को झटका दे दिया है। कोर्ट ने सीबीआई को आयोग के अध्यक्ष से पूछताछ पर रोक लगा दी है। अगले आदेश तक सीबीआई आयोग के अफसरों को तलब कर उनसे पूछताछ नहीं कर सकेगी।
अनिल यादव से सीबीआई नहीं कर सकेगी पूछताछ
लोक सेवा आयोग की भर्तियों की जांच सीबीआई से कराने के मामले में आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों को राहत देते हुए हाईकोर्ट ने उनसे पूछताछ (इंट्रोगेशन) पर रोक लगा दी है।
कोर्ट ने कहा है कि सीबीआई जांच कर सकती है, लेकिन अगल आदेश तक आयोग के अधिकारियों को समन कर उनसे पूछताछ नहीं करेगी।
कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार के अलावा सीबीआई को भी इस मामले पर एक सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 18 जनवरी को होगी।
योगी सरकार फर्जी करवा रही है जांच
लोक सेवा आयोग उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अनिरुद्ध सिंह और अन्य सदस्यों की ओर से दाखिल याचिका पर मुख्य न्यायमूर्ति डीबी भोसले और न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की पीठ सुनवाई कर रही है। आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शशिनंदन ने दलील दी है कि आयोग एक स्वायत्त संवैधानिक संस्था है। सीबीआई को इसकी जांच का अधिकार ही नहीं है।
राज्य सरकार ने सीबीआई जांच की घोषणा की थी
अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति करते हुए कहा कि याचिका में 31 जुलाई 2017 की अधिसूचना को चुनौती नहीं दी गई है। इसके तहत राज्य सरकार ने सीबीआई जांच की घोषणा की थी, जिसके आधार पर केंद्र ने 21 नवंबर 2017 को सीबीआई जांच का आदेश दिया है। कोर्ट ने याची को छूट दी है कि वह संशोधन अर्जी दाखिल कर 31 जुलाई की अधिसूचना को भी चुनौती दे सकता है।
कोर्ट ने पूछा सरकार के पास सीबीआई जांच करवाने का क्या आधार
कोर्ट ने प्रदेश सरकार से जानना चाहा है कि आयोग की नियुक्तियों की जांच सीबीआई से कराने का उसके पास क्या आधार है। किन तथ्यों के आधार पर सीबीआई जांच की संस्तुति की गई है।दरअसल आयोग ने दलील दी है कि सरकार के पास ऐसा कोई तत्य नहीं है कि जिसके आधार पर सीबीआई जांच कराई जाए। मात्र मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के आधार पर मौजूदा सरकार ने चुनाव से पहले ही वादा किया था कि वह भर्तियों की जांच सीबीआई से कराएगी।
फोटोः फाइल।
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