देहरादून। चेहरे की राजनीति ने कांग्रेस के घर में कोहराम मचाया हुआ है। दिग्गज नेता हरीश रावत की चेहरे से जुड़ी मुहिम ने पूरी पार्टी को उलझन में डाल दिया है। हालांकि सामूहिक चेहरे की पार्टी बात कर रही है, लेकिन हरीश रावत समर्थक चेहरे की मुहिम पर मोर्चा खोले हुए हैं। इससे एकदम उलट स्थिति भाजपा में है। वहां पर चेहरे को लेकर क्रांति नहीं, बल्कि शांति दिखाई पड़ रही है। भले ही डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक के रूप में उत्तराखंड भाजपा का एक चेहरा राष्ट्रीय स्तर पर चमक रहा है, लेकिन उत्तराखंड की सियासत का जहां तक सवाल है, वहां पर मौजूदा स्थिति में तो पार्टी सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के चेहरे को ही आगे किए हुए है।
उत्तराखंड की चुनावी राजनीति में चेहरे का सवाल हमेशा से उलझा रहा
उत्तराखंड की चुनावी राजनीति में चेहरे का सवाल हमेशा से उलझा रहा है। पार्टियों ने चेहरे दिखाकर और कभी छिपाकर चुनावी लड़ाइयां लड़ी हैं। कांग्रेस के दिग्गज हरीश रावत की चेहरा घोषित कराने की मुहिम को भले ही पार्टी नेतृत्व के रुख के कारण बीच में झटका लगा है पर यह मुहिम थमी नहीं है। हरीश रावत भले ही मांग करके अब एक तरफ हो गए हैं, लेकिन उन्हें अपना भगवान मानने वाले उनके समर्थक अब इस मुहिम में जुटे हैं।
कांग्रेस में ही विरोध
ताजा मामला पौड़ी जिले का है, जहां सार्वजनिक कार्यक्रम में पूर्व संसदीय सचिव और पूर्व विधायक गणेश गोदियाल ने चुनाव के लिए पार्टी का चेहरा घोषित करने को जरूरी बताया। साथ ही इसके लिए हरीश रावत के नाम को पूरी मजबूती से आगे किया। प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा ह्रदयेश के करीबियों ने उनका विरोध किया तो कार्यक्रम में हंगामा मच गया।
चेहरे पर भाजपा में शांति
कांग्रेस की जो स्थितियां हैं, उसमें चेहरा घोषित करने की संभावना कमजोर है, लेकिन हरीश रावत ऐंड पार्टी चुनाव से पहले इस पर पूरा दबाव बनाने में जुटी है। ठीक इसके उलट भाजपा में ऐसी न कोई बहस छिड़ी है और न ही कोई कुछ कहने की स्थिति में है। उम्रदराज होने के कारण पूर्व सीएम बीसी खंडूडी राजनीति से अब बाहर हैं और भगत सिंह कोश्यारी महाराष्ट्र के राज्यपाल की जिम्मेदारी के कारण उत्तराखंड में बहुत सक्रिय नहीं हैं। भाजपा हाईकमान के मन में चुनाव को लेकर क्या चल रहा है, यह अलग बात है, लेकिन जो दिखाई दे रहा है, उसमें सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का चेहरा ही आगे करके पार्टी चुनावी समर में कूदने के लिए तैयार दिखती है। सीएम बदलने की परंपरा से पूर्व में नुकसान उठाने के बाद पार्टी इस बार इससे अलग लाइन पर चलती दिख रही है।
त्रिवेंद्र सिंह रावत भी जबरदस्त एक्शन मोड में
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डाॅ रमेश पोखरियाल निशंक अपनी बड़ी जिम्मेदारी में व्यस्त हैं, लेकिन उत्तराखंड के मसलों पर पूरी सक्रियता से अपना योगदान भी कर रहे हैं। मगर पार्टी का उत्तराखंड में चेहरा बनने की न तो उनमें और न ही उनके समर्थकों में फिलहाल दिलचस्पी दिखाई दे रही है। डाॅ. निशंक और उनके समर्थक इस बड़ी केंद्रीय मंत्री की जिम्मेदारी से जुड़ी जो परीक्षा है, उसमें अच्छे नंबरों से पास होने की कोशिश में हैं। पार्टी हाईकमान का इशारा भांपने के बाद सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत भी जबरदस्त एक्शन मोड में हैं। वह गांव-गांव, शहर-शहर पहुंच रहे हैं और तेजी से फैसले ले रहे हैं। उनके समर्थकों ने भी सारी स्थितियों का आकलन करते हुए 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए कमर कस ली है।